नई दिल्ली :जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक नई जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. याचिका में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे धमकी देकर, धमकी देकर, धोखा देकर और पैसे देकर धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं. साथ ही भारत के विधि आयोग को निर्देश देने के लिए प्रार्थना की है कि वह अनुच्छेद 14,21 और 25 की भावना में 3 महीने के भीतर धोखाधड़ी धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए एक रिपोर्ट और विधेयक को तैयार करे.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि बच्चों और महिलाओं को मुख्य रूप से विदेशी वित्तपोषित मिशनरियों द्वारा टॉरगेट किया गया है और कई व्यक्ति और संगठन सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित और एससी-एसटी का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कर रहे हैं. इसके लिए वह या तो बल प्रयोग कर रहे हैं या फिर प्रलोभन से उनकी गरीबी का फायदा उठा रहे हैं. इस दौरान बताया गया कि एक तरीका भौतिक प्रलोभन है जिसके द्वारा आर्थिक, शैक्षिक, चिकित्सा या सामाजिक सहायता की पेशकश की जाती है, इस शर्त पर कि व्यक्ति धर्मांतरित होता है. दूसरा व्यक्ति के धर्म का अपमान है ताकि एक नया धर्म श्रेष्ठ दिखाई दे. तीसरा अनैतिक, हिंसक तरीका है कट्टरता को बढ़ावा देना यानी जानबूझकर और जानबूझकर धार्मिक नफरत और हिंसा को बढ़ावा देना. वहीं धर्मांतरण उन समुदायों के ताने-बाने को तोड़ देता है जहां यह होता है और इससे सामाजिक विकार और अशांति पैदा होती है.