बेंगलुरु: कर्नाटक में मुसलमानों को 2बी कैटेगरी के तहत दिए जाने वाले 4 फीसदी आरक्षण को रद्द करने का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस संबंध में बेंगलुरु के सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद आरिफ जमील ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है. याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि, राज्य सरकार द्वारा 27 मार्च, 2023 को मुसलमानों के लिए 2बी आरक्षण रद्द करने के बाद 'आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग' (ईडब्ल्यूएस) में शामिल किए गए आदेश को रद्द किया जाए.
याचिका के निस्तारण तक आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाई जाए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आर कोतवाल पेश हुए. याचिका में शिकायत की गई थी कि राज्य सरकार ने 24 मार्च, 2023 को श्रेणी 2बी के तहत मुसलमानों को दिए जाने वाले 4% आरक्षण को रद्द करने और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) में जोड़ने का फैसला लिया है.
याचिका में कहा गया कि सरकार के इस जल्दबाजी और त्रुटिपूर्ण निर्णय ने मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस श्रेणियों को आवंटित 10 प्रतिशत आरक्षण में सामान्य श्रेणी के तहत प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित किया. मुसलमानों को दिए गए 4% आरक्षण को राज्य के सबसे मजबूत समुदायों अर्थात् ओक्कलिगा और वीरशैव-लिंगायतों को 2% आवंटित किया गया है. आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह राजनीति से प्रेरित फैसला है.