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कर्नाटक : अयप्पा स्वामी के दर्शन करने के बाद 4 दिनों के भीतर कबूतर अपने घोंसले में लौट आया - कर्नाटक

अयप्पा स्वामी के दर्शन करने के चार दिनों के भीतर कबूतर अपने घोंसले में लौट आया. इस पर कबूतर के पालने वाले वेंकटेश ने बताया कि उसे प्रशिक्षित नहीं किया गया था. वहीं इसको लेकर ग्रामीणों ने खुशी व्यक्त की है.

the pigeon returned to its nest
कबूतर वापस अपने घोंसले पर लौटा

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Published : Jan 5, 2023, 3:22 PM IST

Updated : Jan 5, 2023, 3:38 PM IST

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चित्रदुर्ग (कर्नाटक) : अयप्पा स्वामी के दर्शन करने के चार दिनों के भीतर कबूतर अपने घोंसले में लौट आने का मामला सामने आया है. बता दें कि चित्रदुर्ग जिले के मोलाकलमुरु तालुक के मेगलहट्टी गांव के वेंकटेश को कबूतर पालने का शौक है. उन्होंने अयप्पा स्वामी को माला पहनाई थी, इसी क्रम में वह भगवान के दर्शन के लिए सबरीमाला गए थे. इस दौरान वह अपने प्रिय कबूतर को भी एक डिब्बे में बंद करके ले गए थे.

कई वर्षों से कबूतर पाल रहे वेंकटेश ने कबूतर की ऊर्जा, संवेदनशीलता और स्मरण क्षमता को जानाने के उद्देश्य से उसे सबरीमाला से छोड़ा. लेकिन चार दिन बाद वह कबूतर एक बार फिर अपने मालिक के वेंकटेश के पास वापस शबरीमाला पहुंच गया. वेंकटेश ने कहा कि कबूतरों का उड़ जाना आम बात है लेकिन उड़ने के दौरान वह बाज आदि जैसे पक्षी का शिकार बन सकता है. लेकिन बिना प्रशिक्षण के ही यह कबूतर सही रास्ते से वापस पहुंच गया.

कबूतर के 30 दिसंबर को अयप्पा मलाधारी ने सबरीमाला से कबूतर को छोड़ा था जो चार दिन बाद वह अपने घर के घोंसले पर पहुंच गया. गौरतलब है कि सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. मंदिर की अठारह सीढ़ियां चढ़ने और पहाड़ी में अयप्पा स्वामी का दर्शन करने के बाद भक्तों को शांति का अनुभव होता है और वे अपने जीवन सार्थक समझते हैं. कबूतर के अयप्पा का आर्शीवाद लेने के बाद वापस घर लौट आने पर ग्रामीणों ने इसकी खुशी का इजहार किया है. कर्नाटक, आंध्र, तमिलनाडु, महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु सबरीमाला आते हैं और स्वामी अयप्पा का आशीर्वाद लेते हैं.

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Last Updated : Jan 5, 2023, 3:38 PM IST

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