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दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी, सगाई होने पर भी मंगेतर से संबंध बनाना दुष्कर्म - जमानत याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि सगाई होने पर भी मंगेतर से संबंध बनाना दुष्कर्म है. केवल सगाई हो जाने को किसी को अपनी मंगेतर से मारपीट करने या संबंध बनाने की अनुमति नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने इससे जुड़े मामले में आरोपी युवक की जमानत याचिका खारिज कर दी.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Oct 6, 2022, 6:04 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सगाई के बाद मंगेतर से कई बार दुष्कर्मऔर मारपीट करने वाले युवक की जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केवल सगाई हो जाने को किसी को अपनी मंगेतर से मारपीट करने या संबंध बनाने की अनुमति नहीं माना जा सकता.

गुरुवार को न्यायमूर्ति स्वर्णा कांत शर्मा जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थीं. कोर्ट ने कहा कि शादी तय होने के चलते यह संभव है कि दोनों पक्षों की सहमति रही होगी, इसके बावजूद कोर्ट यह मानता है कि केवल सगाई हो जाने पर मारपीट या यौन उत्पीड़न (sex with fiancee) की अनुमति नहीं दी जा सकती.

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गर्भवती होने के बाद कराया अबॉर्शन, किया शादी से इनकार: शिकायतकर्ता ने शिकायत में कहा है कि उसकी मुलाकात आरोपी से 2020 में हुई थी. एक वर्ष तक प्रेम संबंध में रहने के बाद 11 अक्टूबर को परिवार के सहमति के बाद सगाई हुई थी. सगाई के 4 दिन बाद ही युवक ने उससे जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया. इस दौरान उसने कहा कि उनकी जल्दी शादी होने वाली है, ऐसे में वह कुछ भी गलत नहीं कर रहा.

इसके बाद युवक ने महिला से कई बार संबंध बनाए. इस दौरान महिला गर्भवती भी हो गई. युवक ने उसे अबॉर्शन के लिए गोलियां भी खिलाईं. महिला ने शिकायत में बताया कि 9 जुलाई 2022 को जब वह युवक के घर गई तो उसके परिवार ने शादी से इनकार कर दिया. इसके बाद 16 जुलाई को पीड़िता ने दक्षिणी दिल्ली जिले में शिकायत दर्ज कराई.

कोर्ट ने खारिज की युवक की जमानत याचिका : इस मामले में सितंबर माह में पुलिस ने आरोप-पत्र दाखिल किया था. बचाव पक्ष की तरफ से पेश वकील ने कहा कि महिला ने कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है. जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक युवती जिसकी अभी शादी नहीं हुई है. वह कोई भी साक्ष्य किस प्रकार से रख सकती है.

अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस ने आरोप -पत्र दाखिल कर दिया है, लेकिन अभी कोर्ट से आरोप तय नहीं किए गए हैं. ऐसे में आरोपित को जमानत नहीं दी जानी चाहिए. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलील से सहमत होते हुए हुए युवक की जमानत याचिका खारिज कर दी. युवक को 22 जुलाई को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद सत्र न्यायालय ने उसकी दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

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