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तालिबान के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट जाएगा दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश का परिवार

दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Late photojournalist Danish Siddiqui) के माता-पिता, तालिबान के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट जाएंगे. ताकि दानिश की हत्या की जांच व तालिबान के उच्च स्तरीय कमांडरों, नेताओं सहित जिम्मेदार लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिये कार्रवाई शुरू कर सकें. इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) का रुख करने का फैसला किया है.

Photojournalist Danish
दानिश सिद्दीकी

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Published : Mar 22, 2022, 5:43 PM IST

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में मारे गये फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी (Late photojournalist Danish Siddiqui) के माता-पिता, मानवता के विरूद्ध युद्ध के लिए तालिबान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) का रुख करेंगे. दानिश सिद्दीकी (38) अफगान बलों व तालिबान के बीच जारी संघर्ष की कवरेज के सिलसिले में अफगानिस्तान में थे, जब पिछले साल जुलाई में उनकी हत्या कर दी गई थी.

पुलित्जर पुरस्कार जीतने वाले सिद्दीकी, अफगानिस्तान के कंधार शहर के स्पिन बोल्दाक में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच हो रही लड़ाई की कवरेज कर रहे थे, जब उनकी हत्या की गई. परिवार ने एक बयान में कहा कि दानिश सिद्दीकी के माता-पिता अख्तर सिद्दीकी और शाहिदा अख्तर, उसकी हत्या की जांच, तालिबान के शीर्ष कमांडरों और नेताओं समेत उसकी हत्या के लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे. बयान में हालांकि यह नहीं बताया गया कि किस तरह की कानूनी कार्रवाई की मांग की जाएगी, लेकिन यह समझा जा रहा है कि सिद्दीकी का परिवार तालिबान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत का रुख करेगा.

वकील ने क्या कहा
सिसेरो चेम्बर्स के वकील अवि सिंह ने दानिश सिद्दीकी की यातना और हत्या में शामिल व्यक्तियों के नाम सहित शिकायत के बारे में जानकारी दी है. दानिश की मौत को बेहद दुखद बताते हुए अवि सिंह ने कहा कि, यह जानते हुए भी, कि वह भारतीय पत्रकार हैं, इस अपराध को करने वाले तालिबान के खिलाफ दानिश के माता-पिता के कहने पर वे आवाज उठाएंगे. अवि सिंह ने यह भी कहा कि जब तालिबान ने हमला किया तो वे युद्ध कवर करते हुए स्पिन बोल्दाक क्षेत्र में थे. इस दौरान वे घायल हो गये थे और उन्हें पास की एक मस्जिद में ले जाया गया. जहां उनका इलाज अफगान राष्ट्रीय बलों द्वारा किया जा रहा था. फिर वहां भी तालिबान कमांडरों ने हमला किया और उनके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया गया. स्वतंत्र सूत्रों के अनुसार उन्हें प्रताड़ित भी किया गया था.

इनके खिलाफ शिकायत
वकील के अनुसार इंटरनेशनल क्रीमिनल कोर्ट में की जाने वाली शिकायत में अब्दुल गनी बरादर (दोहा वार्ता का नेतृत्व करने वाले मुख्य प्रवक्ता), तालिबान के सर्वोच्च कमांडर मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा, मावलवी मुहम्मद याकूब मुजाहिद (कार्यवाहक रक्षा मंत्री), गुल आगा शेरजई (कंधार प्रांत के राज्यपाल), मोहम्मद हसन अखुंद (तालिबान परिषद के प्रमुख), जबीउल्लाह मुजाहिद (आधिकारिक प्रवक्ता) सहित 7 लोगों के नामों का उल्लेख किया गया है. दावा किया गया है कि तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया. सिद्दीकी, अफगान बलों के साथ प्रेस की वजह जुड़े हुए थे. परिवार के वकील अवि सिंह ने कहा कि जब मृत शरीर उनके परिवार को लौटाया गया तो बुलेट प्रूफ जैकेट बरकरार था. वकील ने कहा कि यह कोई अकेला मामला नहीं है और नागरिकों को निशाना बनाने का तालिबानियों का इतिहास रहा है.

परिवार ने क्या कहा
सिंह ने कहा कि तालिबान की सैन्य आचार संहिता में पत्रकारों सहित नागरिकों पर हमला करने की नीति है. अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने तालिबान द्वारा 70000 से अधिक नागरिक की हत्या का दस्तावेजीकरण किया है. वहीं ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में दानिश के भाई उमर सिद्दीकी ने कहा कि ये कुछ महीने हमारे परिवार के लिए बहुत दर्दनाक रहे हैं. हम जानते हैं कि अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है. लेकिन हमें लगता है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सुनिश्चित करें कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए. ताकि भविष्य में किसी पत्रकार के साथ ऐसा न हो.

क्या है अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (International Criminal Court) एक अंतर सरकारी संगठन और हेग स्थित एक स्थायी न्यायाधिकरण है. जिसे युद्ध अपराधों के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार है. वकील अवि सिंह ने ICC और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के बीच अंतर समझाते हुए कहा कि ICJ संयुक्त राष्ट्र की न्यायिक शाखा है, जो देशों के बीच विवादों का न्याय करती है. यह दोनों ही स्वतंत्र संगठन हैं.

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भारत-अफगानिस्तान की स्थिति
7 जुलाई 1998 को 120 देशों द्वारा रोम संविधि को अपनाया गया था. जिसके तहत ही 1 जुलाई 2002 को आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (International Criminal Court) की स्थापना की गई. इस प्रकार रोम संविधि के अनुसमर्थन के बाद यह प्रभावी हुई. मजे की बात है कि अफगानिस्तान उन 100 देशों में शामिल है, जिन्होंने रोम संविधि पर हस्ताक्षर किये है. जबकि भारत सहित चीन व अमेरिका इसमें शामिल नहीं हैं.

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