लखनऊ: पीएफआई (Popular Front of India) की ट्रेनिंग में सफल होने वालों को जिहाद करने के लिए आतंकी संगठन में शामिल किया जाता था. इसका खुलासा सहारनपुर से गिरफ्तार हुए पीएफआई सदस्य लुकमान ने एटीएस की पूछताछ (PFI Sleeper cell recruitment) में किया. इससे पहले लखनऊ से गिरफ्तार हुए पीएफआई के बदरुद्दीन ने एटीएस की पूछताछ में आतंकी संगठनों के संपर्क होने की बात स्वीकार की थी.
सूत्रों के मुताबिक, यूपी एटीएस की पूछताछ में लुकमान ने बताया कि पश्चिमी यूपी में मुस्लिम युवाओं को भड़काऊ और कट्टरपंथियों के वीडियो दिखाकर बरगलाया (PFI support to terrorist organizations) जाता था. उसके बाद युवा आतंकी संगठनों से जुड़ने के लिए तैयार हो जाते थे तो उनका साइकोलॉजिकल टेस्ट लिया जाता था. इस टेस्ट में उनसे सवाल पूछे जाते थे कि भारत में इस्लाम की हुकूमत कायम करने के लिए वो कौन सा रास्ता चुनेंगे. यह टेस्टे टेलीग्राम के जरिए लिया जाता था. टेस्ट के बाद युवाओं को हमले की ट्रेनिंग (PFI Sleeper cell recruitment) भी दी जाती थी. लुकमान ने बताया कि इसके बाद एक बार फिर से टेलीग्राम के जरिए उनसे संपर्क किया जाता है. जिसमें उन्हें पीएफआई (Popular Front of India) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish e Mohammed terrorist organization) किसी एक को चुनने के लिए कहा जाता है. युवकों को सार्वजनिक रूप से उत्पात करने के लिए बोला जाता.
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एटीएस के सूत्रों के मुताबिक, लुकमान ने बीते साल लखनऊ से गिरफ्तार हुए पीएफआई (Popular Front of India) के सदस्य बदरुद्दीन और फिरोज से भी उसका संबंध (PFI Contact with terrorist organizations) होना बताया है. उसके अनुसार उनकी ट्रेनिंग भी पीएफआई ने ही करवाई थी. बदरुद्दीन और फिरोज विस्फोटक बनाने में माहिर थे. पीएफआई (PFI support to terrorist organizations) ने इन दोनों की मुलाकात आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के सदस्यों से करवाई थी, लेकिन बाद में बदरुद्दीन और फिरोज जैश-ए-मोहम्मद के करीब आ गये थे.