नई दिल्ली:विश्व हिंदू परिषद ने एक बार फिर पीएफआई को प्रतिबंधित करने की मांग दोहराई है. विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने इस पूरे विषय पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि सिमी के प्रतिबंधित किए जाने के बाद उससे जुड़े लोगों ने ही पीएफाई का गठन किया और अब ये संगठन देश-विदेश से फंड पाकर भारत विरोधी कार्यों में जुटा हुआ है. वहीं विपक्षी पार्टियों के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले बढ़ने के आरोप पर उन्होंने कहा कि चोर कभी यह नहीं स्वीकार करता की उसने चोरी की है. देश में एक अपवित्र गठबंधन चल रहा है जिसमें सेकुलर माफिया और सेकुलर पॉलीटिशियन सहित कई पत्रकार, बुद्धिजीवी एवं जिहादी भी शामिल हैं जो भारत को बर्बाद करने की साजिश रच रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, 'जब केरल में एक युवती का जबरन धर्मांतरण किया गया था और उसका केस लड़ने के लिए देश के सबसे बड़े वकीलों को खड़ा किया गया. इसके लिए पीएफआई के खाते से भुगतान किया गया था. ऐसे लोग शर्मिंदा होने की बजाय कहते हैं कि पैसा कहां से आया इससे आपका कोई लेना-देना नहीं. ठीक इसी तरह याकूब मेनन को बचाने के लिए भी वकीलों की एक फौज खड़ी हो गई थी इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले बढ़े हैं.' डॉ. सुरेंद्र जैन ने 1919 मोपला नरसंहार, 1946 के भागलपुर दंगे और 1969 के अहमदाबाद के दंगों का उदाहरण सामने रखते हुए कहा कि, 'कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के जज ने भी कहा था नूपुर शर्मा के बयान के बाद देश का माहौल बिगड़ा है लेकिन लोग वह समय भूल जाते हैं जब हिंदुओं का नरसंहार हुआ.'