लखनऊ : राजधानी स्थित लोक भवन में दो दिन पहले गृह विभाग की अहम बैठक हुई थी. इस बैठक में तय किया गया कि सहारनपुर की तर्ज पर राज्य में कई अन्य हिस्सों में खोले जा रहे एटीएस सेंटर को जल्द से जल्द शुरू किया जाए. इस बैठक के अचानक होने के पीछे सरकार की वह चिंता है जो पीएफआई की साजिशों के खुलासे के बाद बढ़ी है. साजिश ऐसी कि एक राज्य में पीएफआई उसमें कामयाबी पा चुकी है और अब उसे उत्तर प्रदेश में भी उसे दोहराना चाहती है. जिसकी वे मुकम्मल तैयारी कर चुके हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर बीते वर्ष देश में बैन होने के बाद भी पीएफआई अब ऐसी कौन सी साजिश रच रही है.
कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन था PFI का नया मिशन : कर्नाटक में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भले ही प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सहयोगी राजनीतिक विंग एसडीपीआई कुछ खास प्रदर्शन न कर पाई हो, लेकिन वह अपने एक खास मिशन में कामयाब रही है. सात मई को वाराणसी से हुई पीएफआई के दो सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद यूपी एटीएस की जांच में सामने आया है कि कभी कर्नाटक में सबसे अधिक सक्रिय रही पीएफआई पर बीते पांच वर्षों में वहां की येदुरप्पा और बोम्मई सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है, जिसमें अधिकतर पदाधिकारियों को जेल भेज दिया गया. ऐसे में जब उत्तर प्रदेश में सीएए-एनआरसी के दंगों के बाद योगी सरकार ने पीएफआई पर अपनी करवाई तेज की तो यहां मौजूद सदस्यों को कर्नाटक बुला लिया गया. एटीएस को पूछताछ के द्वारा पता चला कि पीएफआई ने कर्नाटक में किसी भी हाल में बीजेपी को सत्ता से हटाने का मिशन पाल रखा था, जिसमें वह कामयाब रही. यही वजह थी कि पीएफआई के इशारों में ही पूरे कर्नाटक चुनाव में पीएफआई का मुद्दा गर्म रहा जिससे उसे भुनाया जा सके.