दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

रिलायंस-बीपी का सरकार को पत्र, ईंधन के खुदरा कारोबार में टिक पाना मुश्किल - ईंधन के खुदरा कारोबार में टिक पाना मुश्किल

रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी ने कहा है कि निजी कंपनियों के लिए ईंधन का खुदरा कारोबार मुश्किल होता जा रहा है. कंपनी ने कहा कि सरकारी कंपनियां लागत से नीचे मूल्य ले आती हैं, इसलिए व्यवसाय में टिके रहना संभव नहीं है.

concept photo
कॉन्सेप्ट फोटो

By

Published : May 23, 2022, 10:52 PM IST

नई दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी के संयुक्त उद्यम-आरबीएमएल ने सरकार से कहा है कि भारत में निजी क्षेत्र के लिए ईंधन का खुदरा कारोबार अब आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह गया है. आरबीएमएल का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का ईंधन बाजार पर नियंत्रण है और वे पेट्रोल और डीजल का दाम लागत से नीचे ले आती हैं. इससे निजी क्षेत्र के लिए इस कारोबार में टिके रहना संभव नहीं है.

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) ने पहले नवंबर, 2021 से रिकॉर्ड 137 दिन तक पेट्रोल और डीजल के दाम को बरकरार रखा. उस समय उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. पिछले महीने से फिर पेट्रोल, डीजल कीमतों में वृद्धि को रोक दिया गया है. यह सिलसिला अब 47 दिन से जारी है.

एक उच्चपदस्थ सूत्र ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्होंने (रिलायंस बीपी मोबिलिटी लि.) ईंधन मूल्य के मुद्दे पर पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखा है.’’ आरबीएमएल अपने खुदरा परिचालन में कटौती कर रही है जिससे हर महीने होने वाले नुकसान में कुछ कमी लाई जा सके. कंपनी को पेट्रोल और डीजल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से हर महीने 700 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी ओर रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की तुलना में पेट्रोल और डीजल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं, जिससे वह अपने कुछ नुकसान की भरपाई कर सके.

सरकार ने पिछले सप्ताहांत पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी. डीजल पर उत्पाद शुल्क छह रुपये लीटर घटाया गया है. सूत्रों ने बताया कि आरबीएमएल का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों का ईंधन के खुदरा बाजार के 90 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा है और कीमतें तय करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसे में निजी कंपनियों के पास कीमत निर्धारण की कोई गुंजाइश नहीं बचती.

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के अनुरूप दाम नहीं बढ़ाए हैं. इससे फरवरी, 2022 से ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है. 16 मार्च, 2022 तक उद्योग को पेट्रोल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से 13.08 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था. वहीं डीजल पर यह नुकसान 24.09 रुपये प्रति लीटर था. एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि मंत्रालय जल्द आरबीएमएल के पत्र का जवाब देगा. हालांकि, सूत्र ने यह नहीं बताया कि मंत्रालय का जवाब क्या होगा.

(PTI)

ABOUT THE AUTHOR

...view details