नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक नाम या चिह्न वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर मंगलवार को याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें अवश्य ही 'धर्मनिरपेक्ष' और 'हर किसी के प्रति निष्पक्ष' होना चाहिए. शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस बारे में विचार करेगा कि क्या इस विषय को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की ओर से पेश हुए वकील द्वारा सैयद वसीम रिजवी की पीआईएल पर आपत्ति जताते हुए यह कहा. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ इन दो दलों को पक्षकार बनाया है जिनके मुस्लिम नाम हैं, लेकिन अन्य धर्मों से संबंधित नाम या चिह्न वाले दलों को छोड़ दिया गया है.
एआईएमआईएम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने भी कहा कि न्यायालय विषय को पांच न्यायाधीशों की एक वृहद पीठ के पास भेजने पर विचार कर सकता है क्योंकि किसी भी आदेश के दूरगामी परिणाम होंगे. न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि न्यायालय इस बारे में विचार करेगा कि विषय को वृहद पीठ के पास भेजा जाए या नहीं.