कोच्चि :केरल उच्च न्यायालय में शुक्रवार को एक याचिका दायर कर बच्चों का गैर-चिकित्सीय खतना कराने को अवैध और गैर जमानती अपराध घोषित करने का आग्रह किया गया है. यह याचिका 'नॉन-रिलीजस सिटिजंस' नामक संगठन ने दायर की है. इसमें केंद्र सरकार को भी खतना की प्रथा को रोकने को लेकर कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि खतना करना बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में दलील दी गई है कि खतना की वजह से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं.
उसमें कहा गया है कि खतना की प्रथा बच्चे पर उसके माता-पिता द्वारा एकतरफा फैसला लेकर थोपी जाती है, जिसमें बच्चों की मर्जी शामिल नहीं होती है. याचिका के मुताबिक, यह अंतरराष्ट्रीय संधियों के प्रावधानों का साफ उल्लंघन है. याचिका में आरोप लगाया है कि देश में खतना की प्रथा की वजह से कई नवजातों की मौत की घटनाएं हुई हैं. उसमें कहा गया है कि खतना की प्रथा 'क्रूर, अमानवीय और बर्बर' और यह संविधान में निहित बच्चों के मौलिक अधिकारों, 'जीवन के अधिकार' का उल्लंघन है.
केरल हाईकोर्ट ने पुलिस को उल्लंघन करने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया, कहा- सड़क सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप : केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पुलिस उपायुक्त, कानून और व्यवस्था, कोच्चि को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पुलिस द्वारा उल्लंघन के खिलाफ सभी उपाय और निर्देश जारी किए गए हैं. न्यायालय ने कहा कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 'दिमाग को दहला देने वाली' है. कोच्चि में एक निजी बस की टक्कर से दुपहिया वाहन चला रहे युवक की मौत के बाद हुई दुर्घटना के बाद स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू करते हुए न्यायालय ने यह निर्देश दिया.