नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें शीर्ष अदालत द्वारा गठित पैनल के सदस्यों के हितों के स्पष्ट टकराव का दावा करते हुए अदाणी समूह-हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद की जांच के लिए एक नई विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ताओं में से एक अनामिका जयसवाल द्वारा दायर आवेदन में एसबीआई के पूर्व अध्यक्ष ओपी भट्ट, आईसीआईसीआई के पूर्व अध्यक्ष एमवी कामथ, वकील सोमशेखर सुंदरेसन और अडाणी समूह के बीच हितों के टकराव को दर्शाने वाले कथित उदाहरणों का हवाला दिया गया है. समिति में न्यायमूर्ति जेपी देवधर और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि भी शामिल थे.
आवेदन में तर्क दिया गया कि भट्ट वर्तमान में एक नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ग्रीनको के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं, जो भारत में अडाणी समूह की सुविधाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए मार्च 2022 से अडाणी समूह के साथ घनिष्ठ साझेदारी में काम कर रही है. शीर्ष अदालत के समक्ष वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्रतिनिधित्व करने वाले जायसवाल ने यह तर्क दिया कि यह उनकी जानकारी में आया है कि भट्ट से मार्च 2018 में पूर्व शराब कारोबारी और भगोड़े आर्थिक अपराधी, विजय माल्या को ऋण देने में कथित गड़बड़ी के मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई थी.
याचिका में कहा गया है कि भट्ट ने 2006 और 2011 के बीच एसबीआई के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था, जब इनमें से अधिकांश ऋण माल्या की कंपनियों को दिए गए थे और उन्हें इन प्रासंगिक तथ्यों के बारे में शीर्ष अदालत को सूचित करना चाहिए था. कामथ के संबंध में आवेदन में कहा गया है कि वह 1996 से 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष थे, आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की एफआईआर में उनका नाम आया था.