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Adani-Hindenburg Dispute: अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए नए विशेषज्ञ पैनल की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर - अडानी हिंडनबर्ग विवाद

अडाणी समूह-हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद की जांच के लिए एक नई विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग को लेकर सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल के सदस्यों के हितों के स्पष्ट टकराव का दावा किया गया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 18, 2023, 6:07 PM IST

Updated : Sep 18, 2023, 6:57 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें शीर्ष अदालत द्वारा गठित पैनल के सदस्यों के हितों के स्पष्ट टकराव का दावा करते हुए अदाणी समूह-हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद की जांच के लिए एक नई विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ताओं में से एक अनामिका जयसवाल द्वारा दायर आवेदन में एसबीआई के पूर्व अध्यक्ष ओपी भट्ट, आईसीआईसीआई के पूर्व अध्यक्ष एमवी कामथ, वकील सोमशेखर सुंदरेसन और अडाणी समूह के बीच हितों के टकराव को दर्शाने वाले कथित उदाहरणों का हवाला दिया गया है. समिति में न्यायमूर्ति जेपी देवधर और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि भी शामिल थे.

आवेदन में तर्क दिया गया कि भट्ट वर्तमान में एक नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ग्रीनको के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं, जो भारत में अडाणी समूह की सुविधाओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए मार्च 2022 से अडाणी समूह के साथ घनिष्ठ साझेदारी में काम कर रही है. शीर्ष अदालत के समक्ष वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्रतिनिधित्व करने वाले जायसवाल ने यह तर्क दिया कि यह उनकी जानकारी में आया है कि भट्ट से मार्च 2018 में पूर्व शराब कारोबारी और भगोड़े आर्थिक अपराधी, विजय माल्या को ऋण देने में कथित गड़बड़ी के मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई थी.

याचिका में कहा गया है कि भट्ट ने 2006 और 2011 के बीच एसबीआई के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था, जब इनमें से अधिकांश ऋण माल्या की कंपनियों को दिए गए थे और उन्हें इन प्रासंगिक तथ्यों के बारे में शीर्ष अदालत को सूचित करना चाहिए था. कामथ के संबंध में आवेदन में कहा गया है कि वह 1996 से 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष थे, आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की एफआईआर में उनका नाम आया था.

आवेदन में कहा गया है कि मामला चंदा कोचर से संबंधित है जो 2009 से 2018 तक आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में कार्यरत थीं. आवेदन में कहा गया है कि सीबीआई ने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके परिवार को उनके कार्यकाल के दौरान वीडियोकॉन समूह को प्रदान किए गए ऋणों के बदले विभिन्न रिश्वतें मिलीं, जिनमें से कई गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदल गईं.

आगे कहा गया कि जब उनमें से कुछ ऋणों को मंजूरी दी गई थी, तब कामथ बैंक के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष थे और उस समिति के सदस्य थे, जिसने ऋणों को स्वीकृत/अनुमोदन किया था. सुंदरेसन के संबंध में आवेदक ने दावा किया कि वह सेबी बोर्ड सहित विभिन्न मंचों पर अडाणी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रहे हैं.

आवेदन में कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि वर्तमान विशेषज्ञ समिति देश के लोगों के बीच विश्वास जगाने में विफल रहेगी, इसलिए इस अदालत द्वारा हितों के टकराव के बिना त्रुटिहीन सत्यनिष्ठा के साथ एक नई विशेषज्ञ समिति का गठन किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने सभी सदस्यों को नामित किया था और समिति के अध्यक्ष शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे हैं.

शीर्ष अदालत ने मार्च 2023 में वकील विशाल तिवारी और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, ताकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की जा सके और यह पता लगाया जा सके कि क्या इसमें कोई नियामक विफलता थी. समिति ने मई में सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अदाणी समूह की कंपनियों द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर या एमपीएस मानदंडों के उल्लंघन के आरोपों को इस स्तर पर साबित नहीं किया जा सकता है.

Last Updated : Sep 18, 2023, 6:57 PM IST

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