मथुरा:2 जून, 2016 की उस काली तारीख को याद कर आज भी मथुरावासियों की रूह कांप जाती है. इसी दिन यहां चर्चित जवाहर बाग कांड हुआ था. जवाहर बाग को अवैध कब्जाधारियों से मुक्त कराने के दौरान पुलिस के दो अधिकारियों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी. बाग में हुए अग्निकांड के बाद पूरा बाग जलकर राख हो चुका था. वहीं, जवाहर बाग कांड में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव शहीद हो गए थे और कब्जाधारियों से बाग मुक्त कराने के दौरान भारी संख्या में पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे. बाग में हुई आगजनी और हिंसक घटना ने तत्कालीन सपा सरकार को हिलाकर रख दिया था. लेकिन आज इस बाग की तस्वीर ही कुछ और है.
बदली तस्वीर पर उस खौफ-ए-मंजर को याद कर आज भी कांप जाती है लोगों की रूह
तथाकथित सत्याग्रहियों की ओर से अपनी बेतुकी मांगों को पूरा कराने की मांग को लेकर जवाहर बाग की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर आंदोलन के नाम पर कब्जा कर लिया गया था. वहीं, अवैध कब्जाधारी काफी समय से जवाहर बाग में डेरा डंडा डाले बैठे थे. इधर, लगातार स्थानीय लोग अधिवक्ताओं व शासन-प्रशासन से जवाहर बाग में किए गए अवैध कब्जे को खाली कराने की मांग कर रहे थे. लेकिन शासन-प्रशासन कब्जाधारियों के सामने बौने नजर आ रहे थे.
लेकिन 2 जून, 2016 को मथुरा प्रशासन अवैध कब्जाधारियों से जवाहर बाग को मुक्त कराने का मन बना चुका था, जिसके चलते पुलिस प्रशासन की ओर से जवाहर बाग को मुक्त कराने का प्रयास किया गया. लेकिन इस दौरान अवैध कब्जाधारियों के सरगना रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में कब्जाधारियों ने हथियारों से लैस होकर पुलिस के ऊपर हमला कर दिया. इस दौरान तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव के शहीद होने के साथ ही बाग में मौजूद 29 लोगों से अधिक की मौत हो गई थी.