हरिद्वार :धर्मनगरी हरिद्वार की पूरी अर्थव्यवस्था गंगा पर निर्भर है. वैसे तो साल भर पतितपावनी मोक्षदायिनी गंगा निरंतर बहते हुए अपने भक्तों का कल्याण करती है, लेकिन साल में एक बार गंगा बंदी होती है. इस दौरान बहुत कम संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं. गंगा की ये वार्षिक बंदी भी यहां के गरीबों के लिए वरदान साबित होती है.
दरअसल, यूपी सिंचाई विभाग द्वारा हर साल की तरह दशहरे से लेकर दीपावली तक गंगा का पानी रोक दिया जाता है. इस दौरान हरकी पैड़ी से लेकर कानपुर तक जाने वाली गंगनहर में साफ-सफाई का काम होता है. इस दौरान हजारों लोग सूखी हुई गंगा में सिक्के और धातुएं बीनने का काम करते हैं. इन लोगों की एक महीने की आजीविका गंगा बंदी पर ही निर्भर होती है. कभी-कभी तो इन लोगों को सिक्कों के साथ-साथ सोने-चांदी की बहुमूल्य धातुएं भी मिल जाती हैं. इसे मां गंगा का आशीर्वाद मानकर ये लोग भी अपना दीपावली का त्योहार मनाते हैं.
सरकार का अधिकार नहीं :गंगा में मिलने वाले सोना-चांदी और सिक्कों पर सरकार का कोई अधिकार नहीं होता. जिसको जो भी मिलता है वह उसी का होता है. गंगा में मिलने वाले पैसों और धातुओं से इन गरीबों का भरण-पोषण हो जाता है.