दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

यहां पानी कम होने के बाद गंगा मैया देती हैं 'रोजगार', गरीबों के लिए है 'वरदान'

हर साल की तरह गंगनहर को यूपी सिंचाई विभाग द्वारा दहशरे से लेकर दीपावली तक बंद कर दिया जाता है. हरकी पैड़ी से लेकर कानपुर तक जाने वाली गंगनहर में साफ-सफाई का काम होता है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग सूखी हुई गंगा में सिक्के और धातुएं बीनने का काम करते हैं. इससे उनकी रोजी-रोटी चलती है.

By

Published : Oct 28, 2021, 3:30 PM IST

haridwar
haridwar

हरिद्वार :धर्मनगरी हरिद्वार की पूरी अर्थव्यवस्था गंगा पर निर्भर है. वैसे तो साल भर पतितपावनी मोक्षदायिनी गंगा निरंतर बहते हुए अपने भक्तों का कल्याण करती है, लेकिन साल में एक बार गंगा बंदी होती है. इस दौरान बहुत कम संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं. गंगा की ये वार्षिक बंदी भी यहां के गरीबों के लिए वरदान साबित होती है.

दरअसल, यूपी सिंचाई विभाग द्वारा हर साल की तरह दशहरे से लेकर दीपावली तक गंगा का पानी रोक दिया जाता है. इस दौरान हरकी पैड़ी से लेकर कानपुर तक जाने वाली गंगनहर में साफ-सफाई का काम होता है. इस दौरान हजारों लोग सूखी हुई गंगा में सिक्के और धातुएं बीनने का काम करते हैं. इन लोगों की एक महीने की आजीविका गंगा बंदी पर ही निर्भर होती है. कभी-कभी तो इन लोगों को सिक्कों के साथ-साथ सोने-चांदी की बहुमूल्य धातुएं भी मिल जाती हैं. इसे मां गंगा का आशीर्वाद मानकर ये लोग भी अपना दीपावली का त्योहार मनाते हैं.

यहां पानी कम होने के बाद गंगा मैया देती हैं 'रोजगार'

सरकार का अधिकार नहीं :गंगा में मिलने वाले सोना-चांदी और सिक्कों पर सरकार का कोई अधिकार नहीं होता. जिसको जो भी मिलता है वह उसी का होता है. गंगा में मिलने वाले पैसों और धातुओं से इन गरीबों का भरण-पोषण हो जाता है.

श्रद्धालु नहीं करते हरिद्वार का रुख :गंगा बंदी के दौरानहरकी पैड़ी पर पानी न होने के कारण श्रद्धालु हरिद्वार का रुख नहीं करते. इससे यहां की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है. गंगा घाटों पर रहने वाले पंडितों और तीर्थ पुरोहितों को भी आर्थिक तंगी झेलनी पड़ती है. हालांकि, ये तीर्थ पुरोहित भी मानते हैं कि पतितपावनी मां गंगा निरंतर अपने भक्तों का कल्याण करती है. प्रवाह रुकने के बावजूद उनकी न सही, कम से कम सिक्के बीनने वाले लोगों की तो रोजी-रोटी चलती रहती है.

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुताबिक हर साल सफाई और मरम्मत के नाम पर गंगनहर को बंद किया जाता है. इस बार भी गंगनहर को बंद कर दिया गया है. इस दौरान नहर की साफ- सफाई और मरम्मत के कार्य किए जाएंगे. इसके बाद छोटी दिवाली यानी 3 नवंबर की रात को इसको खोला जाएगा. इस दौरान श्रद्धालुओं के स्नान के लिए हरकी पैड़ी पर पर्याप्त जल छोड़ा जाएगा. उत्तर प्रदेश के कई जिलों की खेती गंगनहर की सिंचाई पर निर्भर है.

पढ़ेंःगंगा की गुणवत्ता हुई बेहतर, 97 में 68 स्थान स्नान करने के मानदंडों के अनुरूप

ABOUT THE AUTHOR

...view details