पटनाःसुप्रीम कोर्ट में चुनावी बांड को लेकर सुनवाई चल रही है, लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि बिहार के कई राज्यसभा, लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य चुनावी बांड से MP MLA बने हैं. बिहार जैसी राज्यों में राजनीतिक अपेक्षा रखने वाले नेता राजनीति में बांड के माध्यम से एंट्री करते हैं. यह लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन यही सच्चाई है. इसी चुनावी बांड पर इनदिनों बहस चल रहा है.
चुनावी बांड क्या है?गुप्त चंदा, जिसे राजनीतिक भाषा में चुनावी बांड कहा जाता है, इसकी पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्य कमेटी इस मामले में सुनवाई कर रही है. सुनवाई के बाद ही तय हो पाएगा कि गुप्त चंदा को सार्वजनिक किया जाए या नहीं.
यह बांड सही या गलतः ये गुप्त चंदा राजनीतिक पार्टियों के लिए कितना सही या गलत है? राजनीतिक पार्टियों के फंड में कितने पैसे हैं? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही तय हो पाएगा. चुनावी बांड को लेकर देश भर में बहस हो रही है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने फंड्स पारदर्शी तरीके से दिखाना चाहिए या नहीं.
12 हजार करोड़ का सोर्स नहींःCJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कमेटी में याचिका की सुनवाई हो रही है. 2018 में बांड सिस्टम पर सवाल खड़ा किया गया था. देश की राजनीतिक पार्टी CPI और एडीआर ने इस याचिका को दाखिल किया था. याचिका में कहा गया कि चुनावी बांड आम लोगों से लेकर कंपनियों तक के लिए शुरू किया गया था, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के पास 12 हजार करोड़ से ऊपर की फंडिंग हो चुकी है. जिसका कोई प्रमाण नहीं है.
चुनावी बांड कोई भी खरीद सकता हैःचुनावी बांड SBI के कुछ चुनिंदा ब्रांच में उपलब्ध होते हैं. इसमें 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ का होता है. इसे कोई भी व्यक्ति, कंपनी, व्यापारी खरीदकर मनपसंद पार्टी को डोनेट कर सकता है. खरीदने वाले को टैक्स में रिबेट मिलता है. खरीदने के 15 दिन के अंदर किसी पार्टी को नहीं देता है तो यह एक्सपायर हो जाएगा. सभी राशि पीएम कोष में चली जाएगी. हर 3 महीने के पहले 10 दिनों तक इसे खरीदा जा सकता है. जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिनों तक खरीदा जा सकता है।
चुनावी बांड से राजनीति में एंट्री:चुनावी बांड को लेकर बिहार की राजनीतिक दलों में बहुत ज्यादा गहमा-गहमी नहीं है. इसका वजह यह है कि यहां दान करने वाले उद्योगपतियों-व्यवसायियों की संख्या काफी काम है. जिनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा होती है, वह इसी चुनावी बांड के माध्यम से राजनीति में एंट्री करते हैं. इसके बाद अचानक से किसी हाउस के मेंबर बन जाते हैं.