किशनगंज :पूरे देश में आज दशहरा (Dussehra 2021) पर, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. वहीं किशनगंज जिले (Ravan Temple In Kishanganj) में एक गांव ऐसा भी है, जहां रावण ग्रामीणों के लिए आस्था का प्रतीक है. यहां ऐसा माना जाता है कि रावण, ग्रामीणों की मन्नत पूरी करता है.
यहां पर ग्रामीण रावण की मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. दूर गांव के लोग भी यहां आकर रावण से मन्नतें मांगते हैं. इस गांव में रावण को जलाया नहीं जाता है. रावण प्रकांड विद्वान थे यह बात किसी से छुपी नहीं है. रावण अपनी शिव भक्ति के लिए भी जाने जाते हैं. उसके बावजूद रावण की पूजा राम के देश में होती हो, वो भी बिहार के किशनगंज में यह चौंकाने वाला है. लेकिन यह सच्चाई है कि बिहार के किशनगंज जिले में लोग न सिर्फ रावण की पूजा करते हैं, बल्कि रावण का मंदिर भी ग्रामीणों ने बनाकर रखा है.
"हम लोग पूरे साल रावण की पूजा करते हैं. यहां रावण का पुतला जलाया नहीं जाता है. मन्नत पूरी होने पर भी लोग आते हैं. सावन में भी विशेष रूप से रावण की पूजा की जाती है." - संगीता देवी, स्थानीय
बिहार के सीमावर्ती किशनगंज जिले का इतिहास बहुत प्राचीन है. मालूम हो कि महाभारत कालीन इतिहास से जिले की पहचान तो है ही, साथ ही 70% इस अल्पसंख्यक बाहुल जिले में लंकाधिपति रावण की भी पूजा की जाती है. यह मंदिर किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित रहमत पाडा के काशी बाड़ी गांव में स्थित है.