श्रीनगर:जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंततः सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, जो पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देते हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ ने मंगलवार को कहा कि वह 2 अगस्त से दैनिक आधार पर मामले की सुनवाई करेगी.
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि अनुच्छेद 370 बहाल करने के पक्ष में एक मजबूत मामला है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी दादी एवं नेकां संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की पत्नी बेगम अकबर जहां को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि मामले को उच्चतम न्यायालय में सूचीबद्ध होने में चार साल लगा. इससे यह प्रदर्शित होता है कि हमारा मामला कितना मजबूत है.
उन्होंने कहा कि इतना लंबा समय लगा, क्योंकि पांच अगस्त 2019 को संविधान को नष्ट कर दिया गया था. उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने को पर्यटन तथा जी20 कार्यक्रमों से जोड़कर देखा जा सकता है, लेकिन जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त किया जाना गलत है. उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार का पक्ष कमजोर है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसे सूचीबद्ध कराने तक की कोशिश नहीं की. यदि सरकार इच्छुक थी तो उसने उच्चतम न्यायालय से इसकी शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया होता.
उन्होंने कहा कि शुक्र है कि प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश यहां आए और लौटने पर, इसे सूचीबद्ध किया. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने पर केंद्र के हलफनामे पर भरोसा नहीं करने का शीर्ष न्यायालय का फैसला उनके इस रुख का समर्थन करता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के कदम का ठोस तार्किक आधार नहीं था.