पटना : हाल के दिनों में गंगा नदी में शव मिलने के बाद लोग अब इस नदी में पाई जाने वाली मछलियों को खाने और खरीदने से परहेज कर रहे हैं. ज्यादातर लोग अब समुद्री मछलियों की तरफ रुख करते नजर आ रहे हैं. हालात यह है कि गंगा नदी से मछली लाकर बेचने वाले व्यवसायी इन मछलियों की बिक्री ना होने से परेशान हैं.
पटना के मछुआ टोली, अशोक राजपथ, भट्टाचार्य मोड़ और अन्य चौक चौराहों पर मौजूद मछली मंडी के विक्रेता इन दिनों गंगा नदी में पाई जाने वाली मछलियों की बिक्री ना होने से चिंतित हैं. अपनी मछली को ये दोबारा गंगा नदी में फेंकने पर मजबूर हैं.
इस बारे में मछली विक्रेता रामजी सहनी ने बताया कि हाल के दिनों में गंगा नदी में शव बरामद होने के बाद लोग गंगा नदी में पाई जाने वाली मछलियों को खाने से परहेज कर रहे हैं और इस कारण हमारा काफी नुकसान हो रहा है.
गंगा से मछली निकालते मछुआरे वहीं मछली विक्रेता सुरेश साहनी का कहना है किघंटों गंगा नदी से मछली मारने के बाद भी इस नदी से मिली हुई मछलियों को लोग नहीं खरीद रहे हैं और जब मछलियां बिक नहीं रही है तो ऐसी स्थिति में इन मछलियों को एक बार फिर गंगा नदी में फेंकना पड़ रहा है.
मछली मार्केट में मछली खरीदने वाले लोग गंगा नदी में पाई जाने वाली मछलियों को ना खरीदकर नागपुर, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से आई मछलियों को खरीद रहे हैं.
दूसरी ओर मछली खरीदने आने वाले लोगों का कहना है कि गंगा नदी में जिस तरह से शव बरामद हुए हैं ऐसे में गंगा नदी का पानी प्रदूषित हो गया है. सरकार को चाहिए कि एक मुहिम चलाकर इन शवों से प्रदूषित हुई गंगा नदी को स्वच्छ करे ताकि मछली खाने से कोई बीमारी की आशंका ना हो.
मछुआरों के सामने भुखमरी की नौबत
बहरहाल गंगा नदी में शवों के मिलने के बाद लोगों ने तो मछली खाने से मुंह फेर लिया. लेकिन इन गरीब मछुआरों की परेशानी का क्या, जो इस लॉकडाउन में पहले ही परेशान थे अब मछलियां ना बिकने से इनके सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं. मछलियां नहीं बिकने से इन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.