दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री का सम्मान करें : कोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार काे सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की आपत्तिजनक तस्वीरें डालने के एक मामले में सुनवाई की.

नागरिक

By

Published : Oct 26, 2021, 10:03 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत याचिका पर पारित अपने आदेश में कहा है कि प्रत्येक नागरिक का यह आवश्यक कर्तव्य है कि वह देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सभी संवैधानिक व्यक्तियों का सम्मान करें.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपत्तिजनक तस्वीरें डालने के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि मोदी तथा अन्य संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को किसी एक वर्ग या धर्म के दायरे में बांधा नहीं जा सकता और वे देश के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं.

न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की पीठ ने सोमवार को 60 वर्षीय आफाक कुरैशी की जमानत मंजूर करते हुए कहा इस देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह इस महान देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत संवैधानिक पदों पर बैठे सभी लोगों का सम्मान करें.

कुरैशी के खिलाफ व्हाट्सएप पर प्रधानमंत्री मोदी की कूट रचित आपत्तिजनक तस्वीरें साझा करने के आरोप में राजधानी लखनऊ के अमीनाबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में उसे गत 19 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था.

कुरैशी ने अदालत के सामने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि मैं इस गैरकानूनी हरकत पर शर्मिंदा हूं क्योंकि वह आपत्तिजनक तस्वीर मेरे मोबाइल फोन से अपलोड की गई.

हालांकि कुरैशी ने जोर देकर कहा कि उसने यह काम नहीं किया है. दरअसल किसी अराजक तत्व ने इसे अंजाम दिया है जो उसे फंसाना चाहता था. नहीं तो कोई भी व्यक्ति क्षेत्र के थानाध्यक्ष द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप पर ऐसी तस्वीर क्यों साझा करेगा.

जमानत याचिका में अभियुक्त की ओर से न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी गई थी और दलील दी गई कि वह बुजुर्ग व्यक्ति है. जो न तो अधिक पढा-लिखा है और न ही इस प्रकार का फोटो सम्पादन करने में समर्थ है.

सफाई दी गई कि उसके मोबाइल का किसी ने उसे फंसाने की मंशा से इस्तेमाल कर लिया है. न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त पर जो धाराएं लगाई गई हैं, वे धार्मिक भावनाएं भड़काने व दो वर्गों के बीच शत्रुता उतपन्न करने के अपराध से सम्बंधित हैं. न्यायालय ने कहा कि प्रधानमंत्री को किसी वर्ग या धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता. अभियुक्त की माफी व अन्य सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत न्यायालय ने अभियुक्त को जमानत दे दी.

पढ़ें :घरेलू हिंसा के तहत मुकदमे आपराधिक नहीं : लखनऊ बेंच

(पीटीआई-भाषा)

ABOUT THE AUTHOR

...view details