हैदराबाद : केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक देशभर में कुल 62,15,797 किलोमीटर सड़कें हैं. इनमें से 1,36,000 किलोमीटर नेशनल हाइवे हैं. पहली नजर में ये आंकड़ा भले बड़ा लगे लेकिन क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया के 7वें सबसे बड़े देश के लिए ये आंकड़ा बहुत कम है. देश के दूर-दराज इलाके आज भी सड़क सुविधा से महरूम हैं. इसकी वजह है कई सड़क परियोजनाओं का समय पर पूरा ना होना. देशभर में कई परियोजनाएं ऐसी हैं जो अधर में लटकी हुई हैं, जो तय वक्त के सालों बाद भी निर्माणाधीन हैं. नतीजतन उनके निर्माण की लागत बढ़ती रहती है और जनता उस निर्माणाधीन परियोजना से जूझती रहती है.
राज्यों में देरी से चल रही सड़क परियोजनाएं
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020-21 में केंद्रीय मंत्रालय के तहत 888 सड़क परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. 3,15,373.3 करोड़ की इन परियोजनाओं में 27,665.3 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण होना है.
ये 888 सड़क परियोजनाएं दमन और दीव को छोड़कर हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में देरी से चल रही हैं. इन परियोजनाओं में देरी के कारण सड़क का इस्तेमाल करने वाले लोगों का वक्त और पैसा दोनें बर्बाद हो रहा है. इसके अलावा हर बीतते रोज के साथ परियोजना की लागत भी बढ़ रही है.
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संसदीय समिति के सवाल और सिफारिश
देर से चल रही 888 सड़क परियोजनाओं को लेकर संसदीय समिति ने भी सवाल उठाए हैं. संसदीय समिति के मुताबिक संबंधित मंत्रालय को देश में नई सड़क परियोजनाओं की घोषणा की बजाय देरी से चल रही परियोजनाओं को पूरा करने की ओर ध्यान देना चाहिए.
मौजूदा केंद्र सरकार राजमार्गों के विस्तार को प्राथमिकता में लेकर चल रही है लेकिन देर से चल रही परियोजनाओं का आंकड़ा सरकार के लिए इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है. समितन ने सिफारिश की है कि भविष्य में देर से चल रही इन परियोजनाओं की लागत में वृद्धि रोकने के लिए इन्हें पूरा करने को प्राथमिकता दे.
समिति की तरफ से सरकार को इस क्षेत्र के लिए अधिक से अधिक फंड जुटाने का सुझाव भी दिया गया. संसदीय समिति ने चिंता व्यक्त की है कि भले NHAI के व्यय में वृद्धि हो रही है लेकिन निजी क्षेत्र का निवेश उसकी तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान घटा है.