हैदराबाद :10 मार्च, 1876 को अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने अपने आविष्कार टेलीफोन से थॉमस वाटसन को पहली बार कॉल की. यह किसी भी टेलीफोन से औपचारिक तौर पर पहली बातचीत थी. ग्राहम बेल ने कहा था,मिस्टर वॉटसन , यहां आओ, मैं तुम्हे देखना चाहता हूं.टेलीफोन को ईजाद करने वाले ग्राहम बेल को तब शायद यह अंदाजा नहीं रहा होगा. 21वीं सदी में टेलिकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में बड़ी क्रांति होगी. किसी को देखने के लिए बुलाने की जरूरत नहीं होगी. लोग वीडियो कॉलिंग से मिलजुल लेंगे. इस बात का उन्हें कतई इल्म नहीं होगा कि जो आदमी अपनी प्राइवेसी बरकरार रखने के लिए अपना संचार उपकरण यानी मोबाइल फोन बंद भी रखेगा तो भी हैकर्स पेगासस स्पाइवेयर के जरिये उसके हर गतिविधि पर नजर रखेंगे.
द वायर मीडिया ने दावा किया है कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिये भारत के पत्रकारों, राजनेताओं और मानवधिकार कार्यकर्ताओं समेत 300 लोगों पर नजर रखी गई. पेगासस स्पाइवेयर की खासियत है कि वह मेसेज और लिंक के अलावा वॉइस कॉलिंग के जरिये आपके मोबाइल फोन में इन्स्टॉल हो सकता है. फोन बंद रहने के बाद भी वीडियो और ऑडियो को सक्रिय रखता है. इससे मोबाइल फोन के मालिक की हर गतिविधि हैकर्स तक पहुंच जाती है. इस दौरान सारा डेटा भी रेकॉर्ड किया जा सकता है.
जासूसी के लिए 1895 में पहली बार की गई वायर टैपिंग
जब हैकिंग और कॉल रेकॉर्डिंग की बात चल ही गई है तो बता दें जब टेलीफोन का ईजाद हुआ तभी से रेकॉर्डिंग के आइडियाज भी लोगों को आने लगे. यह दिमाग भी उसी देश में चला, जहां टेलीफोन पहले आया. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में. 1876 में अमेरिका के ग्राहम बेल में टेलीफोन को पेंटेंट कराया था. इसके 19 साल बाद 1895 में वायर टैपिंग का आइडिया न्यूयार्क के टेलीफोन विभाग के पूर्व कर्मचारी को आया. संचार विभाग की नौकरी छोड़कर उसने पुलिस डिपार्टमेंट जॉइन कर लिया था. न्यूयार्क के तत्कालीन मेयर विलियम एल. स्ट्रॉन्ग को अपने विचार से अवगत कराया. उसने तर्क दिया कि अपराधियों पर इसके जरिये आसानी से नजर रखी जा सकती है. मेयर साहब प्रसन्न हुए और उनके आशीर्वाद से न्यूयार्क में ही वर्षों तक गुप्त रूप से वायरटैपिंग फलता-फूलता रहा. पुलिस ने भी इसके मजे लिए. पुलिस वाले टेलीफोन कंपनी के दफ्तरों में जाते और अपने टारगेट का अता-पता जान लेते थे. फिर बिना किसी होहल्ला के बदमाशों को पकड़ लाते थे. टैपिंग वाली लाइनें आमतौर पर घर के तहखाने में या बाहरी दीवार के बक्से में होती थीं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी जबर्दस्त तरीके से फोन टैपिंग की गई थी.
पुराने समय में कुछ ऐसे होते थे टेलीफोन के डिजाइन उस जमाने में टेलिफोन के पार्ट-पुर्जे अलग-अलग होते थे. रिसीवर अलग, स्पीकर अलग और ट्रांसमीटर अलग. हालांकि, 1927 में, अमेरिकन टेलीफोन एंड टेलीग्राफ कंपनी (एटी एंड टी) ने ई1ए हैंडसेट पेश किया, जिसमें एक संयुक्त ट्रांसमीटर-रिसीवर व्यवस्था काम करती थी. रिंगर और बहुत से टेलीफोन इलेक्ट्रॉनिक्स एक अलग बॉक्स में बने रहे. 1947 के जमाने की विदेशी फिल्में देखिए, हाथ में चोंगा और कान में रिसीवर लिए हीरो उससे भी बात करने में मजे लिया करते थे. 1937 में पहली बार ऐसा टेलीफोन बना, जिसे आप संयुक्त सेट कह सकते हैं. जब यह सेट आया तो धूम मच गई. कंपनी ने 25 मिलियन उपकरण बना दिया. 1949 में कंप्लीट टेलीफोन बन गया. वही, जिसमें रोटरी डायलिंग थी, गोल चक्कर वाली. जिसमें अंगुली डालकर बार-बार चरखी घुमानी पड़ती थी. 1960 के दशक में पुश-बटन डायलिंग शुरू हो गई. प्रत्येक बटन को दबाने से एक "डुअल-टोन" सिग्नल उत्पन्न होता था और कॉल कनेक्ट हो जाती थी.
वॉटर गेट कांड : फोन टैपिंग का सबसे बड़ा स्कैम, जिसने निक्सन से गद्दी छीन ली
जब इस संचार माध्यम का इतना विकास हो गया तो टैपिंग ने भी तरक्की कर ली. पुलिस और खुफिया एजेंसियों पर टैपिंग के आरोप लगते रहे. मगर 1969 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने बड़ा धमाका कर दिया. चार साल के कार्यकाल के अंतिम में किए गए उनके कारनामे को दुनिया वाटरगेट कांड के रूप में दुनिया जानती है. उन्होंने चुनाव जीतने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की जासूसी कराई. उन्होंने कुछ लोगों को डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल कमेटी के ऑफिस यानि कि वॉटरगेट होटल कॉम्प्लेक्स की जासूसी का काम सौंपा. गुर्गों ने वॉटरगेट होटल कॉम्प्लेक्स में एक खुफिया डिवाइस लगा दी. अब रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार रिचर्ड निक्सन को डेमोक्रेट पार्टी की हर गतिविधि की जानकारी आसानी से मिल रही थी. उस डिवाइस ने चुनाव से एक साल पहले ही काम करना अचानक बंद कर दिया, जिसके बाद उसे ठीक करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई. जब टीम 17 जून, 1972 की रात को डिवाइस को ठीक करने के लिए वॉटरगेट होटल कॉम्प्लेक्स पहुंची, तभी पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. निक्सन की जासूसी की पोल खुल गई. 30 अक्टूबर, 1973 को निक्सन के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया. 6 फरवरी 1974 से निक्सन के ऊपर महाभियोग पर सुनवाई शुरू की गई. 8 अगस्त, 1973 को टीवी पर लाइव कार्यक्रम के दौरान निक्सन ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. अमेरिका के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी मौजूदा राष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के दौरान ही इस्तीफा देना पड़ा.
पुराने समय में कुछ ऐसे होते थे टेलीफोन के डिजाइन जवाहर लाल नेहरू के राज में भी फोन टैप की शिकायत
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अमेरिका में ही फोन टैपिंग को लेकर बवाल हुआ. फोन तो भारत में भी अंग्रेजों के जमाने में आ गया था तो विवाद यहां भी होने थे. भारत में सबसे पहले 1881 में 'ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड इंग्लैंड ने कोलकाता, बोम्बे (मुंबई), मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलिफोन एक्सचेंज स्थापित किए थे. 28 जनवरी 1882 में कुल 93 ग्राहकों के साथ प्रथम औपचारिक टेलीफोन सेवा शुरू की गई थी. बॉम्बे में भी 1882 में ही टेलिफोन एक्सचेंज तैयार था. आजादी के बाद तो बकायदा डाक और संचार मंत्रालय भी बनाया गया. मगर तब गजब हो गया. तत्कालीन संचार मंत्री ने जवाहरलाल नेहरू से फोन टैपिंग की शिकायत की थी. और तो और, सेना प्रमुख जनरल केएस थिमैया ने 1959 में फोन टैप होने का आरोप लगाया था. नेहरू सरकार के ही एक और मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में फोन टैप होने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी.
अमर सिंह, नीरा राडिया, जेटली...सबने लगाए टैपिंग के आरोप
केंद्र सरकार से टैपिंग का फंडा वक्त के साथ राज्यों ने अपना लिया. 1988 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े पर विपक्षी नेताओं के फोन टेप के आरोप लगाए. नतीजतन उनको कुर्सी गंवानी पड़ी. समाजवादी पार्टी के सांसद अमर सिंह ने 2006 में दावा किया था कि इंटेलीजेंस ब्यूरो उनका फोन टैप कर रही है. अक्टूबर 2007 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोन टैप होने का मामला गरमाया था. आरोप था तत्कालीन केंद्र सरकार के इशारे पर ऐसा हो रहा है. नीरा राडिया वाले ने तो उस समय भी राजनीतिक भूचाल ला दिया था, जब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का मुद्दा गरम था. देश के बड़े उद्योगपतियों से नीरा राडिया की बातचीत के 800 टेप मिले थे. फरवरी 2013 में अरुण जेटली ने टैपिंग का आरोप लगाया था. तब जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे. इस मामले में कई पुलिसकर्मियों समेत करीब दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था. राजस्थान में अभी तो ताजा मामला है. अशोक गहलोत सरकार ने माना है कि विरोध करने वाले कई विधायकों का फोन टैप किया गया.
1973 में मोटोरोला के मार्टिन कूपर ने मोबाइल फोन बनाया. दो किलो वजनी. वक्त के साथ मोबाइल फोन स्मार्ट होते गए. वीडियो कॉलिंग और मिनटों में फाइलों की अदला-बदली आसान हो गई. अब तो 5जी वाले मोबाइल का जमाना है. नए जमाने में कॉल रेकॉर्डिंग हैकिंग में बदल गई. पेगासस के जासूस सॉफ्टवेयर ने जता दिया ..भले ही आप मोबाइल जेब में रखें, हैकर आपके कंटेंट को मिनटों में चुरा लेंगे. तो मोबाइल वालों..जरा संभल के...
बता दें कि भारत में इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट, 1885 के सेक्शन 5(2) के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के पास सिर्फ फोन टैपिंग कराने का अधिकार है. अगर किसी सरकारी विभाग जैसे पुलिस या आयकर विभाग को लगता है कि किसी हालत में कानून का उल्लंघन हो रहा है, तो वह फोन टैपिंग करा सकती है. आईटी एक्ट के तहत, मोबाइल या कंप्यूटर में किसी वायरस और सॉफ्टवेयर के तहत सूचना लेना गैरकानूनी है. यह हैकिंग की श्रेणी में आता है, जो अपराध है.