भोपाल :हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि पेगासस मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में चला गया है, इसलिए इस मामले को अब शीर्ष अदालत के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि मामला अब अदालत में विचाराधीन है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में भी पेगासस जासूसी के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्टिंग हुई है. ऐसे में लोकतंत्र का आपसी विश्वास बरकरार रखने और सच्चाई जानने के लिए पेगासस मामले की जांच होनी चाहिए.
दरअसल, पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन करते हुए कहा कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए. दिलचस्प है कि सोलंकी वरिष्ठ भाजपा नेता भी हैं.
बता दें कि मामला इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग कर कई प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी से जुड़ा है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में अपने ऊपर लगाए जा रहे विपक्ष के आरोपों से इनकार किया है.
पेगासस पर सरकार का पक्ष
गौरतलब है कि गत 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले इसका खुलासा हुआ था. तभी से पेगासस जासूसी का प्रकरण का मुद्दा सुर्खियों में है. संसद की कार्यवाही के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.
झूठ का होगा पर्दाफाश
हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके कप्तान सिंह सोलंकी ने एक साक्षात्कार में कहा, 'लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका है और दूसरा इसकी निजता की सुरक्षा होनी चाहिए. पेगासस का मुद्दा विदेशी एजेंसियों ने उठाया है. इसमें दोनों पक्षों के सांसदों, पत्रकारों सहित कई लोगों के नाम हैं. इससे एक प्रकार का अविश्वास पैदा हो गया है. इसमें सच क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए. जिन दो एजेंसियों ने यह समाचार छापा है, उनसे इसका स्रोत पूछा जाना चाहिए, ताकि यदि कुछ है तो सामने आएगा और अगर वह झूठ है तो उसका पर्दाफाश होगा और फिर मामला खत्म हो जाएगा.'
चर्चा और बहस से पारित हों विधेयक
इस सवाल पर कि विपक्ष की मांग के मुताबिक क्या इस मामले की जांच किसी संयुक्त संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए, सोलंकी ने कहा, 'देखिए ये सत्ता पक्ष का विषय है कि वह इस पर क्या निर्णय लेता है क्योंकि इसकी जो बारीकियां हैं, सत्ता पक्ष ज्यादा जानता है. लेकिन मैं इतना जानता हूं कि इसपर जो अविश्वास खड़ा हुआ है, इसे दूर करने के लिए सबको मिलकर कोई रास्ता निकालना चाहिए तथा परिणाम यह होना चाहिए कि संसद में विधेयक चर्चा व बहस से पारित हों.'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी सांसदों ने एक सप्ताह पहले पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद परिसर में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और उन्होंने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है.
विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा
यह पूछे जाने पर कि संसद में गतिरोध के लिए सत्तारूढ़ दल या विपक्ष में से वह किसे जिम्मेदार मानते हैं, सोलंकी ने कहा, 'सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी (सदन के व्यवस्थित संचालन के लिए) है. दोनों को इस बात के लिए सहमत होना चाहिए कि विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए. उन्हें इस मामले (पेगासस) पर बात करनी चाहिए, ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके.'
लोकतंत्र के लिए संसद आवश्यक
भाजपा में आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में लंबे समय तक काम कर चुके सोलंकी ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि संसद को चलने दिया जाए. उन्होंने कहा, ' हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि सदन व्यवस्थित रूप से चले और सभी विधेयक चर्चा के बाद पारित होने चाहिए. उन्हें इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए, अन्यथा यह लोकतंत्र में बीमारी का कारण बनेगा.'