नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इजराइली स्पाईवेयर पेगासस (Pegasus Spyware) के जरिए कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई हुई. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया है.
आज सुनवाई के दौरान केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंताओं का हवाला देते हुए इस मामले में एक हलफनामा दायर करने की अनिच्छा व्यक्त की.
इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हमने सोचा था कि सरकार जवाबी हलफनामा दायर करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी. अब केवल अंतरिम आदेश पारित किया जाना है.
पीठ ने कहा कि वह 2-3 दिनों के भीतर आदेश पारित कर देगी. इसमें यह भी कहा गया है कि अगर इस बीच कोई 'पुनर्विचार' होता है तो सॉलिसिटर जनरल इस बीच मामले का उल्लेख कर सकते हैं.
सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने बार-बार कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कोई जानकारी नहीं चाहती है. यह केवल स्पाइवेयर के अवैध उपयोग के माध्यम से आम नागरिकों द्वारा लगाए गए अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से संबंधित था.
याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक स्वतंत्र समिति / एसआईटी के गठन की मांग की है. वहीं, सरकार का कहना है कि इस मुद्दे में राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू शामिल हैं और इसलिए इसमें हलफनामे पर बहस नहीं की जा सकती है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे को 'न्यायिक बहस' या 'सार्वजनिक बहस' का विषय नहीं बनाया जा सकता है और हलफनामे में नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने सरकार के पहले के रुख को दोहराया कि उसके द्वारा गठित एक समिति इस मुद्दे की जांच करेगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'मान लीजिए मैं कह रहा हूं कि मैं इस सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं कर रहा हूं. तब यह आतंकवादी समूह को सचेत करेगा. यदि मैं कहता हूं कि मैं इस सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहा हूं, तो कृपया याद रखें, प्रत्येक सॉफ्टवेयर में एक काउंटर-सॉफ्टवेयर होता है. समूह इसके लिए कदम उठाएंगे.'
उन्होंने पीठ से इस मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की अनुमति देने का आग्रह किया, जिसकी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखी जाएगी.
इससे पहले सात सितंबर को, शीर्ष अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त दिया था, जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कुछ परेशानियों की वजह से वह दूसरा हलफनामा दाखिल करने के बारे में निर्णय लेने के लिए संबंधित अधिकारियों से मिल नहीं सके.
केंद्र ने शीर्ष अदालत में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था और कहा था कि पेगासस जासूसी अरोपों में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाएं अनुमानों या अन्य अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं.
शीर्ष अदालत ने 17 अगस्त को याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि वह (अदालत) नहीं चाहती कि सरकार ऐसा कुछ भी खुलासा करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो.
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सरकार ने संक्षिप्त हलफनामे में कहा था कि इस संबंध में संसद में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं. उसने कहा था कि कुछ निहित स्वार्थों के तहत फैलाए गए किसी भी गलत धारणा को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए सरकार विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी.
शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह (अदालत) नहीं चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कुछ भी खुलासा करे और केंद्र से पूछा था कि यदि सक्षम प्राधिकारी इस मुद्दे पर हलफनामा दायर करते हैं तो समस्या क्या है.