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पेगासस विवाद: कथित जासूसी की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई आज - पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर

पेगासस जासूसी मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है, वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Aug 15, 2021, 9:32 PM IST

Updated : Aug 16, 2021, 10:42 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली विभिन्न याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करने वाला है. याचिका दायर करने वालों में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम व शशि कुमार शामिल हैं.

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ मामले में आगे सुनवाई करेगी. सर्वोच्च अदालत ने दस अगस्त को कथित पेगासस जासूसी की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर 'समानांतर कार्यवाही और बहस' पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि अनुशासन और न्याय प्रणाली में विश्वास होना चाहिए.

न्यायालय ने कहा था कि पेगासस विवाद की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी करने के बारे में 16 अगस्त को फैसला किया जाएगा. साथ ही उसने इस बात पर जोर दिया था कि वह बहस के खिलाफ नहीं है, लेकिन जब मामला शीर्ष अदालत में लंबित है तो इस पर यहीं विचार किया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को इजराइल के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया.

क्या है पेगासस स्पाइवेयर ?

पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाइवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

क्या कहता है भारत का कानून ?

भारत में इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट, 1885 के सेक्शन 5(2) के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के पास सिर्फ फोन टैपिंग कराने का अधिकार है. अगर किसी सरकारी विभाग जैसे पुलिस या आयकर विभाग को लगता है कि किसी हालत में कानून का उल्लंघन हो रहा है, तो वह फोन टैपिंग करा सकती है. आईटी एक्ट के तहत, मोबाइल या कंप्यूटर में किसी वायरस और सॉफ्टवेयर के तहत सूचना लेना गैरकानूनी है. यह हैकिंग की श्रेणी में आता है, जो अपराध है. आईटी मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा कि सरकार अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

पढ़ें- Pegasus Spyware पर बोले रमन्ना- किसी को भी नहीं लांघनी चाहिए सीमा

(भाषा इनपुट के साथ)

Last Updated : Aug 16, 2021, 10:42 AM IST

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