नई दिल्ली : आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में 'पेगासस प्रोजेक्ट' (Ashwini Vaishnaw Pegasus) पर सरकार की ओर से बयान दिया. उन्होंने कहा कि पहले भी WhatsApp पर Pegasus के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सभी पक्षों द्वारा उनका खंडन किया गया था. उन्होंने कहा कि 18 जुलाई, 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है.
अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा (Ashwini Vaishnaw in Lok Sabha) में, 'पेगासस जासूसी प्रकरण' पर कहा कि जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि ऐसा सनसनीखेज माहौल बनाने के पीछे कोई सार नहीं है.
बता दें कि अश्विनी वैष्णव हाल ही में हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बने हैं. उन्होंने पेगासस के संबंध में आईं मीडिया रिपोर्टस के संबंध में कहा कि हमारे देश में कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन की कमी नहीं है. ऐसे में किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है.
लोकसभा में आईटी मंत्री ने कहा कि भारत में, अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध अवरोधन किया जाता है. भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों जा जिक्र करते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध अवरोधन के लिए अनुरोध प्रासंगिक नियमों के अनुसार किए जाते हैं. अवरोधन के प्रत्येक मामले को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाता है.