नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की कजाकिस्तान यात्रा ऐसे समय हुई है जब इंट्रा-अफगान वार्ता के लिए तय तारीख करीब आ रही है. ईएएम जयशंकर अफगानिस्तान पर चर्चा करने के लिए 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में भाग लेने के लिए कजाकिस्तान की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं. जिसने भारत को अफगान शांति प्रक्रिया पर विचार करने का मौका दिया है.
इस बारे में अशोक सज्जनहार ने कहा कि जैसा कि विदेश मंत्री जयशंकर का कहना है कि अफगानिस्तान के भीतर शांति केवल अफगानिस्तान के लिए ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है. यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर अफगानिस्तान में असमान सरकार या सेना है तो यह भारत की सुरक्षा पर भी विपरीत प्रभाव डालेगी. 1999 के दौरान हमने उस हिंसा को देखा है जो तालिबान द्वारा भारत के खिलाफ किया गया था.
द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत का अवसर
उन्होंने कहा कि यह भारत के पड़ोस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. एशियाई देशों की बैठक अफगानिस्तान में शांति लाने के संदर्भ में है. इसके अलावा द्विपक्षीय घटक भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत-कजाकिस्तान रणनीतिक साझेदार हैं. पिछले कुछ वर्षों में दोनों के बीच मजबूत आदान-प्रदान हुआ है. उन्होंने कहा कि यह दूसरे विश्व नेताओं से मिलने और अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत करने का भी अवसर है.
अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता जरूरी
अशोक सज्जनहार ने कहा कि देशों को तालिबान पर यह देखने के लिए दबाव बनाना होगा वे युद्धविराम का पालन करते हैं या नहीं. क्योंकि वे अफगानिस्तान में संघर्ष विराम सुनिश्चित करने के बदले प्रशासन में सीट हासिल कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि देशों की बैठक और होने वाली चर्चाओं के लिए 'क्विड प्रो क्वो' का विचार अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए होगा और तालिबान को काबुल में सत्तारूढ़ वितरण का हिस्सा बनने देना चाहिए.
शांति प्रक्रिया में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका
अफगान शांति प्रक्रिया में भारत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है और यह अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता में एक प्रमुख हितधारक है. इसने पहले ही देश में दो अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता और पुनर्निर्माण गतिविधियों में निवेश किया है.
मंगलवार को हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति गंभीर चिंता का कारण है. उन्होंने दोहराया कि अफगानिस्तान में टिकाऊ शांति के लिए हमें जो वास्तविक 'डबल पीस' चाहिए, वह है अफगानिस्तान और उसके आसपास की शांति. इसके लिए दोनों के हितों में सामंजस्य की आवश्यकता है.
शांति के लिए चल रही सीधी बातचीत
यह ध्यान देना उचित है कि भारत उन छह देशों में शामिल होगा जिनमें चीन, रूस, पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, ईरान, जो अफगान शांति प्रक्रिया के लिए रोडमैप तय करने के लिए साथ हैं. नई दिल्ली अफगानिस्तान में जारी युद्ध को समाप्त करने में एक मजबूत दिलचस्पी लेगा. इसलिए भारत ने हमेशा अपने रुख को दोहराया है कि यह एक राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है. जो कि अफगान के नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित है.