चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने सोमवार को ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन को राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) योजना के तहत काम कार्यरत कर्मचारियों को नियमित वेतनमान या वेतन पर लाने का निर्देश दिया जिन्हें लंबे समय तक लगातार कार्य पर रखा गया है. अदालत ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों का वेतन तर्कसंगत, उचित और न्यायसंगत होना चाहिए. न्यायमूर्ति वी पथिबन (Justice V Pathiban) की एकल पीठ ने कहा कि योजना तैयार करते समय प्राधिकारियों को इन श्रमिकों से लिए जा रहे काम और नियमित कर्मचारियों को समान काम के लिए भुगतान किए जाने वाले वेतनमान को भी ध्यान में रखना होगा.
न्यायाधीश ने कहा कि निगम एक व्यवहारिक योजना तैयार करते हुए 12 सप्ताह के भीतर उचित आदेश पारित करेगा. अदालत ने कहा कि रखरखाव/सफाई कार्मिकों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम पारिश्रमिक दिया जाए. न्यायाधीश उजईपोर उरीमाई इयक्कम (Justice Uzhaippor Urimai Iyakkam) की ओर से इसके अध्यक्ष के. भारती द्वारा दायर एक रिट याचिका का आज निस्तारण कर रहे थे. याचिकाकर्ता-संघ के सदस्य एनयूएलएम में कई वर्षों से लगातार कार्यरत हैं.