पटना/मुजफ्फरपुर: बिहार की पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर कॉलेज की एमबीए छात्रा के अपहरण मामले में सुनवाई की. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामले की जांच सीआईडी द्वारा कराये जाने पर गहरी नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट इस मामले की निगरानी कर रहा है, तो बिना कोर्ट की अनुमति के सीआईडी से जांच कराने की प्रक्रिया क्यों प्रारम्भ की गयी?
मुजफ्फरपुर एमबीए छात्रा लापता केस में सुनवाई : कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 1 दिसम्बर 2023 को डीआईजी, सीआईडी और मुजफ्फरपुर एसपी ऑनलाइन उपस्थित रहेंगे. पिछली सुनवाई में कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का पालन नहीं किये जाने पर सख्त रुख अपनाते हुए एसएसपी, मुज़फ्फरपुर को तलब किया था. सूचक की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि अपहरण कांड पिछले वर्ष दिसंबर माह में हुआ था. लगभग साल भर होने के बाद भी अब न तो उस लड़की की बरामदगी हुआ और न पुलिस ठोस कार्रवाई कर पाई.
हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी : अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बिना कोर्ट की अनुमति के सीआईडी ने इस मामले की जांच की कार्रवाई शुरु कर दी. साथ ही पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने जो एसएसपी, मुज़फ्फरपुर को निर्देश दिया था, उसका पालन नहीं किया गया. गौरतलब है कि कोर्ट ने पहले की सुनवाई में पुलिस के रवैये और क्रियाकलापों पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि पुलिस बिहार के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकामयाब रही है.
केस दर्ज करने से लेकर छानबीन तक में रही चूक : शेखपुरा जिले की छात्रा सदर थाना क्षेत्र में अपने नाना के घर रहकर इलाके के एक मैनेजमेंट कॉलेज में पढ़ रही थी. 12 दिसंबर 2022 को वह कॉलेज के लिए घर से निकली. लेकिन, उसका भगवानपुर से अपहरण कर लिया गया. जब शाम तक वह घर नहीं लौटी तो उसके नाना ने सदर थाने में उसके अपहरण की एफआईआर के लिए आवेदन सौंपा. छात्रा के नहीं मिलने पर पिता ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसके बाद हाइकोर्ट में इस पर सुनवाई चल रही है.
पुलिस ने घोषित कर रखा है 50 हजार का इनाम : लापता एमबीए छात्रा की सूचना देने वालों के लिए पुलिस ने 50 हजार रुपए की राशि से पुरस्कृत करने की घोषणा की हुई है. युवती 12 दिसंबर 2022 को समय करीब नौ बजे अपने घर से निकली थी, जिसका आज तक कोई सुराग नहीं मिला. इस संबंध में छात्रा के नाना ने सदर थाने में कांड दर्ज कराया था. इस बीच पुलिस आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है. साथ ही पुलिस ने इस मामले में दो महिला को भी गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
केस नंबर-2 खुशी अपहरण कांड: बिहार के मुजफ्फरपुर से रहस्यमई ढंग से गायब पांच साल की बच्ची खुशी को भी पुलिस अब तक नहीं खोज पाई है. ब्रम्हपुरा थाना के लक्ष्मी चौक से बच्ची पिछले साल 16 फरवरी को घर के पास खेलते-खेलते लापता हो गई थी. खुशी पूजा पंडाल में खेल रही थी. शाम को वह रहस्यमय ढंग से गायब हो गई. पुलिस से जब कुछ नहीं हो सका तो परिजन हाईकोर्ट की शरण में चले गए. कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये थे. इसके बाद कोर्ट ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया था.
अब तक क्या हुआ: केस सीबीआई के पास आते ही टीम एक्शन में आ गई थी. पिछले साल दिसंबर को सीबीआई की दो सदस्यीय टीम खुशी के घर पहुंची थी. टीम में सीबीआई इंस्पेक्टर केस के आईओ अरुण कुमार व एक अन्य अधिकारी थे. सीबीआई ने खुशी के पिता राजन साह, मां मेनिका देवी, दादी उमा देवी, चाचा राजा कुमार व बुआ रागनी देवी का बयान दर्ज किया था. खुशी के परिजनों ने 11 संदिग्धों के बारे में टीम को इनपुट दिया.
हो सकता है नार्को टेस्ट: खुशी अपहरण कांड में सीबीआई ने मछली मंडी के चार और ब्रह्मपुरा के दो अन्य संदिग्धों की नार्को टेस्ट की मांग की है. सीबीआई ने मामले में कॉल कर उसकी पॉलीग्राफी जांच की सहमति मांगी थी. इस पर पिता ने सीबीआई से कहा कि उसे पॉलीग्राफी जांच से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, मामले में उसके द्वारा बताए गए छह अन्य संदिग्धों की भी पॉलीग्राफी व नार्को जांच सीबीआई कराए.
उन्होंने बताया कि सीबीआई के आईओ ने आश्वासन दिया है कि सभी संदिग्धों को पॉलीग्राफी व नार्को जांच का नोटिस दिया जाएगा. सहमति नहीं देंगे तो उन्हें मुख्यालय बुलाकर पूछताछ की जाएगी. सीबीआई पहले भी उसके परिवार और करीबी रिश्तेदारों से पूछताछ कर चुकी है. सीबीआई ने पॉलीग्राफी जांच के लिए लिखित रजामंदी अभी नहीं मांगी है. लिखित रजामंदी मांगने पर वे अपने वकील से सलाह लेंगे.
चर्चित नावरूना कांड में खाली हाथ: खुशी की तलाश के लिए सीबीआई को जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा से देश भर में चर्चित नवरूणा अपहरण-हत्या कांड की याद आ जाती है. 18 सितंंबर 2011 को सातवीं की छात्रा नवरुणा को उसके कमरे से अगवा कर लिया गया था. बाद में उसका शव उसके घर से पास नाले से बरामद किया गया था. बिहार पुलिस और सीआडी जब इस केस को नहीं सुलझा सकी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुशंसा पर मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया था. मगर दस साल बाद भी सीबीआई न तो इस कांड की गुत्थी सुलझा पाई न ही हत्यारों तक पहुंच पाई. उलटे सीबीआई ने जांच का बंद लिफाफा कोर्ट में सौंप कर जांच से हाथ खड़े कर दिये. सीबीआई ने अपनी असमर्थता जताते हुए जानकारी देने वालों को 10 लाख इनाम देने की घोषणा कर दी थी.
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