पटना:बिहारी प्रतिभा का जलवा अब न्यूयॉर्क में भी देखने को मिलेगा. उत्तरी अमेरिका के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक 22वां न्यूयॉर्क इंडियनफिल्म फेस्टिवल (New York Indian Film Festival) 7 मई से 14 मई के बीच आयोजित हो रहा है. इसमें भारत और भारतीय डायस्पोरा की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. 36 शॉर्ट फिल्मों का प्रीमियर इस फिल्म फेस्टिवल में होगा. इन्हीं 36 शॉर्ट फिल्मों में शामिल है एक फिल्म 'टुगेदर' (Film Together) जिसके लेखक और निर्माता पटना के अनिशाबाद के रहने वाले आजाद आलम हैं. ईटीवी भारत ने फिल्म 'टुगेदर' आजाद आलम से एक्सक्लूसिव बात की है.
'फिल्म 'टुगेदर' कोरोना के दूसरे लहर की कहानी':आजाद आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि यह फिल्म 'टुगेदर' कोरोना के दूसरे लहर के समय की एक कहानी है, जिसमें दो अलग-अलग सामाजिक स्तर के महिलाओं की कहानी दिखाई गई है. इस कहानी में दिखाया गया है कि दोनों कैसे कोएक्जिस्टेंस के साथ कोरोना के समय को सरवाइव करती हैं. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में संदेश दिया गया है कि कैसे आपदा के समय में एक दूसरे का सहयोग करके ही सुरक्षित रह सकते हैं.
न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में देखी जाएगी फिल्म: निर्देशक आजाद आलम बताते हैं कि लड़ाई के कई माध्यम होते हैं लेकिन जो फोकस होता है वह टुगेदर्नेस का होता है. एक दूसरे को दर्द को समझकर और बांटकर ही प्रतिकूल समय की स्थिति से उबर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गौरव का क्षण है कि 36 शॉर्ट फिल्में जिनका प्रीमियर होना है उसमें एक फिल्म इनका भी है. इस फिल्म की कहानी को उन्होंने खुद लिखा है और इसमें सहयोग किया है प्रियंका सिंह ने जो इंडियन वुमन सिनेमैटोग्राफर्स कलेक्टिव की एक सदस्य भी हैं. प्रियंका सिंह की निर्देशित फिल्म मौन को लास एंजिल्स एशियन पेसिफिक फिल्म फेस्टिवल में 2020 में भारत के सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था.
'महिलाओं पर बनी फिल्म':आजाद आलम ने बताया कि पूरी फिल्म की शूटिंग मुंबई में हुई है और कलाकार भी बिहार के बाहर के हैं. इस फिल्म में महिलाओं की कहानी दिखाई गई है उसमें उच्च मध्यम वर्ग की महिला का किरदार नताशा रस्तोगी ने निभाया है और जो उनकी मेड की किरदार को निभाई है वह मुनमुन हैं. आजाद आलम ने बताया कि बिहार के कलाकारों में टैलेंट की कमी नहीं है और मुंबई में काफी संख्या में बिहार के कलाकार, लेखक और निर्देशक मिलते हैं. मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े जितने काम होते हैं, उन सभी क्षेत्रों में देश के कोने कोने में बिहारी प्रतिभा देखने को मिलते हैं.
"बिहार के कलाकार मुंबई जाकर काम करते हैं और अन्य प्रदेशों में जाकर काम करते हैं. सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है. इसका कारण है कि उनके प्रदेश में फिल्मों के निर्माण को लेकर उस प्रकार का वातावरण नहीं है. बिहार में अगर फिल्मों को लेकर वातावरण बेहतर बनता है तो मैं और मेरे जैसे निर्देशक बिहार में ही फिल्म बनाना चाहेंगे."-आजाद आलम, लेखक और निर्माता