पटना: बिहार का पटना एम्स (Patna AIIMS) गंजेपन (Baldness) की समस्या को ठीक करने के लिए आईआईटी पटना (IIT Patna) के सहयोग से एक शोध कर रहा है. आजकल गंजेपन की समस्या काफी आम हो गई है. पहले यह समस्या बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, लेकिन आजकल आधुनिक जीवनशैली में यह समस्या युवाओं में भी काफी तेजी से बढ़ रही है. जो महिला और पुरुष गंजेपन की समस्या से जूझते हैं, उनका आत्मविश्वास काफी कमजोर हो जाता है.
ये भी पढ़ें-पटना AIIMS का रिसर्चः नींद कम आने से बीमार हो रहे बच्चे, मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा प्रभाव
महिलाओं की बात करें तो महिलाओं में गंजेपन की समस्या एक सोशल स्टिग्मा (Social Stigma) की तरह है और ऐसी महिलाएं जल्दी घर से बाहर नहीं निकलती हैं. अवसाद की बीमारी घर कर लेती है और इसके साथ ही शरीर में कई बीमारियां भी आ जाती है. हालांकि, आधुनिक दौड़ में गंजेपन के इलाज का एक तरीका हेयर ट्रांसप्लांट जरूर है, मगर यह बहुत खर्चीला है. ऐसे में पटना एम्स आईआईटी पटना के सहयोग से गंजेपन के इलाज का सस्ता और टिकाऊ तरीका ढूंढ रहा है.
पटना एम्स के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि गंजापन आज के दौर की एक गंभीर समस्या बन गई है. यह समस्या युवाओं में तेजी से बढ़ने के साथ महिलाओं में भी तेजी से बढ़ रही है. महिलाओं में यह समस्या एक सामाजिक कलंक की तरह है. गंजेपन की शिकार महिलाओं और पुरुषों का आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है और वह काफी परेशान रहते हैं. गंजेपन की समस्या दूर करने के लिए मेडिकल साइंस पहले से ही काफी प्रयासरत है. बाजार में आए दिन गंजेपन को ठीक करने की नई दवाइयां सामने आ रही हैं, कुछ लाभ भी मिले हैं. लेकिन, अभी भी ऐसी दवाइयां नहीं आई हैं जो गंजेपन को पूर्णतः दूर कर दें.
''गंजापन क्यों होता है इसको जानने कि उन लोगों ने प्रयास किया. इस संबंध में मेडिकल साइंस के जितने भी डाटा और रिसर्च हैं, उसको अध्ययन किया गया. जिसके बाद यह पाया गया कि जब हमारे बाल बढ़ रहे होते हैं तो वह तीन स्थितियों में बढ़ते हैं. पहली स्थिति एनाजन फेज कहलाती है, दूसरी स्थिति कैटेज़न फेज कहलाती है और तीसरी स्थिति टिलोजन फेज होती है. बाल बढ़ने और नए बाल उगने की जो सबसे अच्छी स्थिति होती है वो एनाजन की स्थिति होती है. सबसे खराब स्थिति टिलोजन की होती है.''-डॉ. योगेश कुमार, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट, पटना एम्स
डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि अब तक रिसर्च में उन लोगों ने यह पाया है कि गंजेपन से ग्रसित लोगों में एनाजन फेज कम समय की होती है और टिलोजन फेज बढ़ जाती है. ऐसे में उन लोगों को यह आवश्यकता महसूस हुई कि जिन लोगों का टिलोजन फेज आ गया है, उसको वापस एनाजन फेज में रिवर्ट बैक कर दिया जाए तो इस बीमारी से बिना दवाइयों के दुष्परिणाम झेले हुए लाभ पाया जा सकता है. इस पर अभी अध्ययन चल रहा है और वह शोध कर रहे हैं.