नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता राम माधव ने शनिवार को कहा कि भारत का विभाजन केवल क्षेत्र का नहीं हुआ था बल्कि मन भी बंट गये थे. उन्होंने कहा कि आपस में जोड़ने के तरीकों को तलाशने और उन तत्वों को हतोत्साहित करने की आवश्यकता है जो अलगाववादी विचार में विश्वास रखते हैं.
माधव ने कहा कि 'अखंड भारत' के विचार को केवल भौतिक सीमाओं को मिलाने के बारे में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि विभाजन की भयावहता से जो मानसिक बाधाएं पैदा हुईं उन्हें मिटाने के प्रयास के रूप में समझा जाना चाहिए.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की ओर से 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए माधव ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक 'दैत्य' के रूप में बढ़ने का मौका दिया गया और वह भारत का विभाजन कराने के लिए तुले हुए थे.
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य माधव ने विभाजन को एक 'प्रलयंकारी घटना' बताया जो गलत निर्णयों की वजह से हुई. उन्होंने कहा, 'भारत का विभाजन उस दौरान अन्य कई देशों में हुए विभाजन जैसा नहीं था. वह केवल सीमाओं का बंटवारा नहीं था… वह इस झूठे सिद्धांत पर किया गया था कि हिंदू और मुसलमान अलग राष्ट्र हैं जबकि वे भिन्न पद्धतियों को मानते हुए भी एक साथ रह रहे थे.'
उन्होंने कहा कि विभाजन से महत्वपूर्ण सबक भी मिले हैं और हमें अतीत की उन गलतियों से सीखना चाहिए तथा जो लोग बंट गए उनके बीच 'पुल बनाने' का प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत का बंटवारा केवल क्षेत्र का विभाजन नहीं था बल्कि मन भी बंट गये थे.