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पंजाब विधानसभा चुनाव 2022, महिलाओं को टिकट देने में राजनीतिक दलों ने की कंजूसी

राजनीति में 33 फीसदी महिलाओं की भागीदारी का दावा सभी राजनीतिक दल करते हैं, मगर जब चुनाव में टिकट देने की बारी आती है तो उनका रवैया बदल जाता है. पंजाब में भी महिला वोटरों को लुभाने के लिए वादे तो खूब किए गए मगर राजनीतिक दल ने कैंडिडेट बनाने में अपने हाथ पीछे खींच लिए. यूपी में लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने वाली कांग्रेस ने पंजाब में सिर्फ 10 फीसदी महिला कैंडिडेट को मैदान में उतारा है.

women politics in punjab
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Published : Feb 4, 2022, 5:01 PM IST

चंडीगढ़ :पंजाब की महिला के लिए सभी राजनीतिक दलों ने वादों का पिटारा खोल रखा है, मगर महिला दावेदारों को टिकट देने में सभी पार्टियों ने कंजूसी कर दी. कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने 7.5 फीसदी से 10 फीसदी के बीच महिला कैंडिडेट मैदान में उतारे हैं. जाहिर है अब विधानसभा में इनकी तादाद 7 से 10 फीसदी के बीच में ही रहेगी. पंजाब एक ऐसा राज्य है, जहां महिला वोटरों की तादाद पुरुषों के मुकाबले अधिक है. यहां 2,12,75,067 मतदाताओं में से महिलाओं की संख्या 1,00,86,514 है. सही मायने में महिलाएं ही पंजाब में जीत हार तय करती हैं.

यूपी में दिया गया प्रियंका गांधी का नारा 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' पंजाब में खत्म हो गया.


कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने यूपी में 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का नारा दिया है, मगर पंजाब में यह नारे को खुद पार्टी ने फिसड्डी साबित कर दिया . पंजाब में कांग्रेस ने सभी सीटों पर कुल 117 प्रत्याशियों मैदान में उतारे हैं, मगर सिर्फ 11 महिलाओं को टिकट दिया. यह कुल उम्मीदवारों के करीब 10 फीसदी है. आम आदमी पार्टी ने सिर्फ 12 महिला उम्मीदवारों (10 प्रतिशत) को मैदान में उतारा है. अकाली दल - बसपा गठबंधन ने सिर्फ 5 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है. अकाली दल ने अपने खाते के 97 सीटें में से 4 और बसपा ने एक सीट महिला दावेदारों को दी है. बीजेपी, पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त ने कुल मिलाकर सिर्फ 8 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है.

जीते कोई भी महिलाओं को कैश मिलना तय है : पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए जहां आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को 1000 रुपये देने का वादा किया है वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने 2000 रुपये देने की बात कही है. शिरोमणि अकाली दल ने ब्लू कार्ड धारक महिलाओं को 2000 रुपये देने का वादा किया है.


कांग्रेस ने जिन 11 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उनमें से अधिकतर पहले से ही राजनीति में सक्रिय रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल लहरा से उम्मीदवार हैं. दो बार कैबिनेट मंत्री रही अरुणा चौधरी को दीनानगर से उम्मीदवार बनाया गया है. कैबिनेट मंत्री रहीं रजिया सुल्ताना को मलेरकोटला से दोबारा टिकट दिया गया है. आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हुईं विधायक रुपिंदर कौर रूबी मलोट से कांग्रेस की कैंडिडेट हैं. एक्टर सोनू सूद की बहन मालविका सूद को मोगा से कांग्रेस की कैंडिडेट बनाई गई हैं
आम आदमी पार्टी ने जिन 12 महिलाओं को टिकट दी है, तलवंडी सबो की विधायक बलजिंदर कौर, जगराओं की विधायक सरबजीत कौर मान और पंजाबी सिंगर खरड़ से अनमोल गगन मान प्रमुख हैं. पार्टी ने जीवन जोत कौर को अमृतसर की हाई प्रोफाइल सीट से उम्मीदवार बनाया है.

अकाली दल ने 4 महिलाओं को बनाया उम्मीदवार :अकाली दल की ओर से 4 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. अकाली दल के 2 महिला उम्मीदवार जसदीप कौर और सुनीता चौधरी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. जसदीप कौर खन्ना से अकाली दल की कैंडिडेट हैं जबकि पूर्व विधायक चौधरी नंदलाल की बहू सुनीता चौधरी बलाचौर से चुनाव मैदान में हैं. इसके अलावा भुलत्थ से जागीर कौर को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है.

आजादी के बाद से पंजाब में सिर्फ 61 महिला बनीं विधायक :आजादी के बाद से अबतक पंजाब में सिर्फ 61 महिला विधायक बन पाई हैं. कांग्रेस की तरफ से अभी तक 30 महिलाओं को विधायक बनने का मौका मिला. अकाली दल के टिकट पर 21 महिलाएं विधानसभा तक पहुंच पाईं. भाजपा की 6, आम आदमी पार्टी की 3 और सीपीआई की एक महिला नेता को विधायक बनने का मौका मिला. पंजाब की राजनीति में अभी तक 2012 ऐसा साल रहा, जब सबसे ज्यादा महिलाएं विधानसभा पहुंचीं. तब विधानसभा में उनकी संख्या 14 थी. 2012 में 93 महिला उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का मौका मिला था, उनमें कांग्रेस की छह, अकाली दल की छह और भाजपा की दो महिलाओं ने जीत हासिल की थी.

पंजाब में महिलाओं की संख्या 1,00,86,514 है.
साल 1977 में विधानसभा चुनावों में 18 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिनमें से फिर मैंने अकाली दल की तीन महिला कैंडिडेट ही चुनाव जीत सकीं. 1980 में 19 महिला प्रत्याशियों में से कांग्रेस की चार और अकाली दल की दो कैंडिडेट ही विधानसभा पहुंच सकीं थीं. 1985 में 33 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई. तब कांग्रेस की तीन और एक अकाली दल की एक महिला प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. साल 1992 विधानसभा चुनावों में अकाली दल ने चुनावों का बहिष्कार किया था. तब 22 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी थीं. तब कांग्रेस की चार, सीपीआई और भाजपा की एक-एक महिला उम्मीदवारों को सफलता मिली थी.

साल 2002 के 71 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, मगर कुल छह महिलाएं ही चुनाव जीत सकीं. इनमें कांग्रेस की तीन और अकाली दल की तीन कैंडिडेट थी. 2007 के विधानसभा चुनावों में 56 महिलाओं ने चुनाव लड़ा. तब कांग्रेस की चार ,अकाली दल की दो और भाजपा की एक महिला विधायक बनी. 2017 के विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की गठबंधन की किसी महिला प्रत्याशी को जीत नसीब नहीं हुई थी. पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में 81 महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया था, उनमें से कांग्रेस और आप की तीन-तीन महिलाओं ने जीत दर्ज की. साल 2017 के मुकाबले इस बार महिला प्रत्याशियों की संख्या कम है. जाहिर है कि 2022 की विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम ही रहेगा.

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