नई दिल्ली : रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवान घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का फैसला किया है. यह वह क्षेत्र है जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक गतिरोध हुआ था. राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं.
इन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय पैनल की पिछली बैठक में लिया गया था, जिसमें राहुल गांधी शामिल नहीं थे, सूत्रों ने कहा, चूंकि पैनल एलएसी का दौरा करना चाहता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाने के लिए समिति को सरकार से मंजूरी लेनी होगी.
वहीं पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन के साथ समझौते के बाद बीजिंग और भारत की सेनाएं इस इलाके में सैनिकों की संख्या को लगातार कम कर रही हैं और बख्तरबंद वाहनों को पीछे ले जा रही हैं. सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को यह बात कही.
हटाए जा रहे युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहन
उन्होंने बताया कि पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर टकराव के बिंदु से युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहनों को हटाया जा रहा है, जबकि उत्तरी तट के क्षेत्रों से जवानों को वापस बुलाया जा रहा है.
सूत्रों ने यह भी बताया कि बख्तरबंद वाहनों की वापसी का काम लगभग पूरा हो गया है और दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचों को अगले कुछ दिन में गिराया जाएगा.
इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, 'पीछे हटने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष सैनिकों और सैन्य वाहनों को वापस बुलाने की सत्यापन प्रक्रिया एक साथ कर रहे हैं.'
सूत्रों ने बताया कि जवानों और बख्तरबंद वाहनों की वापसी केवल टकराव के बिंदु वाले स्थानों से ही हो रही है जहां दोनों ओर के जवान बिलकुल आमने-सामने थे.
रक्षा मंत्री ने दी जानकारी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया था कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है.
रक्षा मंत्री सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे.