नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्यों 12 हजार लंबित मामलों का निपटारा नहीं हुआ, जिनमें से कई तीन वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं. संसद में पेश कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिये बजटीय आवंटन का पूरा उपयोग नहीं किये जाने को भी रेखांकित किया गया.
समिति ने सीवीसी से अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा निगरानी को मजबूत बनाने पर खर्च करने को कहा. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने इस बात को नोट किया कि गंभीर आरोपों सहित सतर्कता से जुड़े 72 मामले तीन महीने की निर्धारित समय-सीमा पार करने के बावजूद अभियोग चलाने के लिहाज से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. समिति ने इस बात पर गंभीर रूप से चिंता जताई कि समय-सीमा के भीतर अभियोग चलाने की मंजूरी नहीं दिया जाना नियमित मामला बन गया है.