नई दिल्ली : संसदीय पैनल ने राजस्थान पुलिस द्वारा चलाए जा रहे डिकॉय आपरेशन की तारीफ की है. इतना ही नहीं संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया है कि राजस्थान पुलिस द्वारा चलाए जा रहे डिकॉय ऑपरेशन को देशभर में लागू किया जाना चाहिए.
संसदीय समित ने कहा है कि इस मॉडल से पता लगाया जा सकता है कि पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज की जा रही है या नहीं.
संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि इस तरह के ऑपरेशन पूरे देश में नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने चाहिए.
डिकॉय ऑपरेशन लाभकारी साबित हुआ है, राजस्थान पुलिस विभाग राज्य के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में डिकॉय ऑपरेशन चला रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिकायत सुनी जा रही है या नहीं.
डिकॉय ऑपरेशन के तहत किसी व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए विभाग द्वारा ही भेजा जाता है. राजस्थान में 2018 में 28 और 2019 में 17 डिकॉय ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. इस दौरान कई मामले ऐसे भी आए, जहां एसएचओ ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. इसके एवज में उन अधिकारियों को दंडित किया गया, किसी को मामूली दंड तो किसी को अधिक दंड दिया गया.
इसके अलावा जो पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी का पालन नहीं करते मिले, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 166 A के तहत मामला दर्ज किया गया है. खासकर जो अधिकारी महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचारों पर नियमित कार्रवाई नहीं की.
संसदीय समिति की राय है कि डिकॉय ऑपरेशन जमीनी स्तर के पुलिस अधिकारियों के बीच सतर्कता पैदा करता है, जिससे अधिक मामलों का पंजीकरण होगा.
इस बात पर संज्ञान लेते हुए कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज नहीं होते हैं, जिसके चलते पीड़ित न्याय से वंचित हो जाते हैं. इसके अलावा समिति ने इन मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने पर जोर दिया है.
कांग्रेस सासंद आनंद शर्मा की नेतृत्व वाली संसंदीय समिति ने एक रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संदर्भ में एडवाइजरी जारी करनी चाहिए. इतना ही नहीं समिति ने गृह मंत्रालय से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जीरो-एफआईआर को लागू करने की सिफारिश की है.