नई दिल्ली : संसद की एक प्रमुख समिति ने पॉक्सो कानून के तहत गंभीर मामलों में शामिल किशोरों के लिए उम्र सीमा 18 साल से कम करके 16 साल करने पर जोर नहीं देने का फैसला किया है. इससे पहले सरकार ने कहा कि इस आयु वर्ग के किशोरों द्वारा किए जाने वाले जघन्य अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त हैं.
राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थाई समिति की एक टिप्पणी पर सरकार की प्रतिक्रिया आई. समिति ने कहा था कि 'यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण' (पॉक्सो) कानून के तहत बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जहां किशोरों की आयु कानून लागू होने के लिहाज से आयु सीमा से कम रही है.
समिति ने कहा था, समिति को लगता है कि नाबालिग यौन अपराधियों को यदि सही परामर्श नहीं दिया गया तो वे और अधिक गंभीर और जघन्य अपराध कर सकते हैं. इसलिए इन प्रावधानों पर पुनर्विचार बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे अपराधों में लिप्त किशोरों की संख्या बढ़ती जा रही है.
इसलिए समिति की सिफारिश है कि गृह मंत्रालय 18 साल की वर्तमान आयु सीमा की समीक्षा के विषय को महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ उठा सकता है और इस बारे में विचार किया जा सकता है कि क्या पॉक्सो कानून, 2012 को लागू करने के लिए आयु सीमा को कम करके 16 साल किया जा सकता है या नहीं.