नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने देश के समक्ष उत्पन्न सीमापार आतंकवाद, अवैध प्रवास, जाली मुद्रा और प्रतिबंधित पदार्थों और हथियारों की तस्करी जैसे खतरों को रेखांकित करते हुए सरकार से सीमा सुरक्षा उपकरणों के उन्नयन और सीमाओं पर संपर्क की कमी को दूर करने के व्यापक उपाय करने को कहा है. संसद के दोनों सदनों में पेश 'भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति' विषय पर विदेश मामलों संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई.
रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस तथ्य से अवगत है कि भारत सीमापार आतंकवाद, अवैध प्रवास, जाली मुद्रा और प्रतिबंधित पदार्थों, मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी आदि के खतरों का लगातार सामना कर रहा है. समिति का यह मानना है कि सीमा पर सुरक्षा आधारभूत ढांचे को बढ़ाना अनिवार्य है और उसने विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बैठकों, अध्ययन दौरे के समय सीमा संरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की थी. समिति ने सरकार से आग्रह किया कि वह 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत सीमा सुरक्षा उपकरणों के उन्नयन और सीमाओं पर संपर्क की कमी को दूर करने के लिए व्यापक उपाय करे.
रिपोर्ट के अनुसार, समिति यह भी चाहती है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध प्रवास के माध्यम से जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की भी सतर्कता से निगरानी की जाए और समिति को इस संबंध में जानकारी से अवगत कराया जाए.समिति ने संज्ञान लिया कि 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के फायदों ने संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल, दक्षेस और विम्सटेक जैसे विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भारत के लिए सशक्त समर्थन का काम किया है. समिति ने सरकार को सचेत किया कि सरकार को आत्म संतुष्ट नहीं होना चाहिए बल्कि आने वाले वर्षों में विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में सभी देशों के समर्थन और सहयोग का लाभ उठाने के लिए पड़ोस एवं क्षेत्र के नए घटनाक्रम के प्रति हमेशा सजग रहना चाहिए.