नई दिल्ली:संसदीय समिति ने केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़, झारखंड, पूर्वोत्तर राज्यों और कश्मीर के स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने का सुझाव दिया है, ताकि इन क्षेत्रों के युवाओं की ऊर्जा और प्रतिभा को दिशा मिले और वे आतंकवाद की ओर कदम नहीं बढ़ाएं. कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उग्रवाद, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण और सीमावर्ती जिलों को आवंटित सीमा सुरक्षा बलों की 25 प्रतिशत रिक्तियों को तुरंत पूरा किया जाए. 131 रिपोर्ट गुरुवार को संसद में पेश की गई.
मौजूदा निर्देशों के अनुसार सीएपीएफ में कांस्टेबल (जीडी) और असम राइफल में राइफलमैन (जीडी), सीएपीएफ और एआर में 50 प्रतिशत रिक्तियां सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जनसंख्या अनुपात में आवंटित की गई हैं. सीमा सुरक्षा बलों की 25 प्रतिशत रिक्तियां संबंधित बल की जिम्मेदारी के क्षेत्र के तहत सीमावर्ती जिलों को आवंटित की गईं है. सीआरपीएफ और सीआईएसएफ सहित गैर-सीमा सुरक्षा बलों की 25 प्रतिशत रिक्तियां सभी सीमावर्ती जिलों को आवंटित की गई है और 25 प्रतिशत रिक्तियां उग्रवाद और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों को आवंटित की गई है.
समिति की सिफारिश है कि ट्रांसजेंडरों को भी कुछ प्रकार का आरक्षण दिया जा सकता है. राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ट्रांसजेंडरों की भर्ती के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि निकट भविष्य में उन्हें मुख्यधारा के समाज के साथ अच्छी तरह से एकीकृत किया जा सके.
समिति इस बात की वकालत की है कि महिलाओं को अधिकतम संभव सीमा तक बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को सेना में शामिल होने से रोकने वाली एक बड़ी बाधा कठिन इलाके और परिस्थितियां हैं, जिनमें उन्हें काम करना पड़ सकता है. इसलिए, महिला अधिकारियों के लिए एक ऐसी नीति पर विचार किया जा सकता है, जिसमें उन्हें नरम पोस्टिंग दी जाए और उन्हें अत्यधिक कठोर और कठिन कामकाजी परिस्थितियों में न रखा जाए. जबतक कि युद्ध, सशस्त्र विद्रोह आदि जैसी चरम परिस्थितियों में आवश्यक न हो और वह भी तब जब ऐसे पुरुषों की पूरी कमी हो.