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संसद का शीतकालीन सत्र : लोकसभा में जलवायु परिवर्तन पर हुई चर्चा

संसद के शीतकालीन सत्र का आज आठवां दिन है. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही हुई. मुल्लापेरियार बांध से पानी छोड़ने को लेकर कांग्रेस और माकपा ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया. वहींं, कांग्रेस और द्रमुक ने बुधवार को सरकार पर जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने के लिए कारगर कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार को भाषण की बजाय ठोस कदम उठाने पर ध्यान देना चाहिए.

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संसद का शीतकालीन सत्र

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Published : Dec 8, 2021, 11:07 AM IST

Updated : Dec 8, 2021, 7:04 PM IST

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का आज आठवां दिन है. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही हुई. मुल्लापेरियार बांध से पानी छोड़ने को लेकर कांग्रेस और माकपा ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया.

कार्यवाही के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने हुआवेई के भारत में 5G परीक्षण का हिस्सा बनने की परमिशन के बारे में सवाल किया. उन्होंने कहा कि क्या हुआवेई के भारत में 5G परीक्षण करने की परमिशन मांगी है और क्या भारत सरकार ने परमिशन देने से इनकार कर दिया है. इसके जवाब में संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 5जी सेवाओं की खरीद विश्वस्त सूत्रों के जरिए की जा रही है. उन्होंने किसी कंपनी का नाम लेने से इंकार कर दिया.

इंटरनेट गेम्स के नियमन से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देते हुए मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राज्यों की ओर से मांग आने के बाद किसी तरह के नियम बनाने पर विचार किया जाएगा.

बीजेपी सांसद सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने ऑनलाइन गेमिंग पॉलिसी पर सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि सरकार की इन गेम्स को बैन करने पर क्या पॉलिसी है. आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राज्य ही इस पर कानून बना सकते हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अभी तक चार राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र, तमिलनाडु ने ऑनलाइन गेमिंग को रोकने के लिए कानून बनाया है. दो राज्यों सिक्किम और नगालैंड ने इसे कानूनी दर्जा दिया है और लाइसेंस की व्यवस्था की है.

कांग्रेस सांसद एम.के. विष्णु प्रसाद ने OTT सेंसरशिप के संबंध में सवाल किया. उन्होंने पूछा कि क्या सरकार का इरादा ओटीटी सामग्री को सेंसर करने का है ? इस पर संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया कि वैश्विक समुदाय द्वारा एक बड़ी सहमति बनाने की जरूरत है. इसके अलावा सूती धागे की कीमतों को लेकर भी लोकसभा में चर्चा हुई.

लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन पर चर्चा

चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के असर का अनुभव कर रहे हैं. कहीं जल का संकट हो रहा है तो कहीं भारी बारिश हो रही है और कई स्थानों पर समुद्रों का स्तर बढ़ रहा है. यह सब सजग होने के संकेत हैं. हमें विश्व स्तर पर सोचना चाहिए और स्थानीय स्तर पर कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन मोदी सरकार की सबसे कम रिपोर्ट की गई विफलता है. चौधरी ने आरोप लगाया कि यह सरकार जलवायु परिवर्तन पर ठोस कदम उठाने की बजाय अपना ढिंढोरा पीट रही है. उन्होंने कहा कि आज देश दुनिया के कई सबसे प्रदूषित शहर हैं. इसको लेकर सरकार को ध्यान देना चाहिए. भाषण से ज्यादा काम पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस की डॉ. काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, अमीर लोग घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते हैं लेकिन गरीब इन उपकरणों का खर्च नहीं उठा सकते हैं. हमें उनका भा ध्यान रखना होगा. हम सीधे तौर पर पराली जलाने के लिए किसानों को दोष नहीं दे सकते क्योंकि वे सदियों से ऐसा करते आ रहे हैं. हमें उन्हें पराली जलाने से रोकने के पहले वैकल्पिक तरीके सिखाना चाहिए. उन्होंने कहा, अनियोजित विकास, सतत विकास का लक्ष्यों के अनुरूप नहीं होना, जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा है.

जद (यू) सांसद दिलेश्वर कामत ने कहा, जैसे-जैसे भारत विकास की ओर बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन का असर जनजीवन पर पड़ रहा है. जबकि अनियमित औद्योगीकरण सबसे बड़ा कारक है, हम इसे पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते क्योंकि देश का प्रत्येक नागरिक और बढ़ती जनसंख्या एक भूमिका निभाती है.

बीजेडी के अच्युतानंद सामंत ने कहा, हमने 2020 में COVID के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के AQI में सुधार देखा. मैं यह नहीं कहता कि हमें लॉकडाउन फिर से लगाना चाहिए, लेकिन हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है.

बसपा सांसद रितेश पांडेय ने कहा, अगर हम जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास के बारे में गंभीर हैं, तो हमें जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी.

द्रमुक सांसद कनिमोझि ने कहा कि ग्रीनहास गैस के उत्सर्जन में कटौती को लेकर सरकार ने जो लक्ष्य रखा है, उसको पूरा करने की दिशा में उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं दिखाई देते.

उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में बहुत अधिकार बारिश हो रही है और इसे भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव देखा जा सकता है.

द्रमुक सदस्य ने कहा कि चेन्नई जैसे शहरों में बाढ़ आ रही है और ऐसे में सरकार को बताना चाहिए ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कोई योजना है. कनिमोझी ने कहा कि सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जो कारपोरेट हितैषी नहीं, बल्कि आम लोगों के हित में हों.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्लासगो शिखर सम्मेलन में गए और बहुत सारे वादे किए, जबकि राज्यों और मुख्यमंत्रियों से इस बारे में पहले कोई चर्चा नहीं की गई. कनिमोझि ने कहा कि सरकार को जलवायु परिवर्तन को लेकर कारगर कदम उठाने चाहिए.

चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि देश हमेशा से जलवायु परिवर्तन को लेकर सजग रहा है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर सबसे पहले ठोस कदम गुजरात में उठाए गए थे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे. जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार विकास के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण पर पूरा ध्यान दे रही है. यही वजह है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि आज इस सरकार के कदमों की पूरी दुनिया में सराहना हो रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि देश को विकास की नयी ऊंचाई पर ले जाने के साथ ही पृथ्वी और पर्यावरण के संरक्षण में जरूर सफलता मिलेगी.

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इससे पहले, पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की, जिसमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, प्रह्लाद जोशी शामिल हुए हैं.

वहीं कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को कठोर और अभूतपूर्व बताया और कहा कि यह संविधान और नियम, दोनों का उल्लंघन है.

Last Updated : Dec 8, 2021, 7:04 PM IST

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