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संसद ने दी भारतीय अंटार्कटिक विधेयक को मंजूरी - संसद मानसून सत्र लाइव अपडेट

संसद ने आज 'भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022' को मंजूरी प्रदान कर दी. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है. पढ़िए पूरी खबर...

Parliament monsoon session live updates
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Published : Aug 1, 2022, 4:55 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 5:31 PM IST

नई दिल्ली : संसद ने सोमवार को 'भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022' को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें अंटार्कटिका में भारत की अनुसंधान गतिविधियों तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए विनियमन ढांचा प्रदान करने का प्रावधान है. राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के बीच ही इस विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा हुई और पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने उसका संक्षित जवाब दिया. इसके बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है.

इस विधेयक पर विपक्ष के कई संशोधन प्रस्ताव थे. विपक्षी सदस्यों ने संशोधन प्रस्ताव पर मतदान कराने की मांग की. उनकी मांग को स्वीकार करते हुए पीठासीन उपाध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने लॉबी को भी खाली करवाया. किंतु उस समय भी कुछ विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे थे, इसलिए आसन ने मतदान नहीं करवाया. बाद में सदन ने इन संशोधन प्रस्तावों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया.

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि अंटार्कटिक क्षेत्र में कोई सैन्य गतिविधि नहीं हो, कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं हो, किसी परमाणु गतिविधि के लिए इस क्षेत्र का उपयोग नहीं हो तथा जो भी संस्थान हैं वो अपने आप को शोध तक सीमित रखें, इस संदर्भ में यह विधेयक महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, 'हमारे देश के भी दो संस्थान हैं और दूसरे देशों के भी हैं. इसलिए यह विधेयक लाया गया है. भारत के हिस्से के क्षेत्र में यह कानून लागू होगा.'

उल्लेखनीय है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारतीय अंटार्कटिक विधेयक का मसौदा तैयार किया है. इसके माध्यम से उम्मीद की जा रही है कि भारत अंटार्कटिका संधि 1959, अंटार्कटिका जलीय जीवन संसाधन संरक्षण संधि 1982 और पर्यावरण संरक्षण पर अंटार्कटिका संधि प्रोटोकाल 1998 के तहत अपने दायित्वों को पूरा कर पाएगा. भारत का अंटार्कटिका कार्यक्रम 1981 में शुरू हुआ था और अब तक उसने 40 वैज्ञानिक अभियानों को पूरा किया है. अंटार्कटिका में भारत के तीन स्थायी शिविर हैं जिनके नाम दक्षिण गंगोत्री (1983), मैत्री (1988) और भारती (2012) हैं. अभी मैत्री और भारती पूरी तरह से काम कर रहे हैं.

भारत ने मैत्री के स्थान पर एक अन्य अनुसंधान सुविधा केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है. हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संसद की एक समिति को बताया था कि मैत्री के स्थान पर एक अन्य केंद्र की तत्काल जरूरत है.

ये भी पढ़ें - लोकसभा ने 'भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022' को मंजूरी दी

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 1, 2022, 5:31 PM IST

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