नई दिल्ली : लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर अगले हफ्ते होने वाली चर्चा के मद्देनजर संसद के मानसून सत्र का आखिरी सप्ताह संभवत: हंगामेदार रहेगा. सोमवार को सभी की निगाहें लोकसभा सचिवालय पर टिकी रहेंगी, जब वह (सचिवालय) संभवत: ‘मोदी उपनाम’ मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर उच्चतम न्यायालय के स्थगनादेश की समीक्षा करेगा और उनकी संसद सदस्यता रद्द करने के संबंध में फैसला करेगा.
यदि लोकसभा के सदस्य के तौर पर गांधी को अयोग्य ठहराने का फैसला रद्द किया जाता है, तो कांग्रेस की प्राथमिकता होगी कि मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान गांधी विपक्ष की ओर से अहम वक्ता की भूमिका निभाएं. उधर, राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक लाया जाएगा. लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय आवंटित किया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संभवत: गुरुवार को अपना जवाब देंगे.
विपक्षी दल मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर संसद में प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं और इसके कारण 20 जुलाई से आरंभ हुआ संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहा है. विपक्ष ने पिछले सप्ताह लोकसभा में अपना विरोध कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया था, ताकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, सरकार (संशोधन) विधेयक पर चर्चा की जा सके. यह विधेयक दिल्ली में नौकरशाही का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मई में केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया गया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं. लोकसभा ने तीन अगस्त को विवादास्पद 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक 2023' को मंजूरी दे दी थी. राज्यसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के सांसदों की संख्या समान है, लेकिन तटस्थ रुख अपनाने वालों के कारण भाजपा-नीत सरकार का पलड़ा भारी हो गया.
लोकसभा ने मानसून सत्र के दौरान अब तक 15 विधेयक पारित किए हैं, जिनमें से 13 विधेयक 26 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार किए जाने के बाद पारित किए गए. राज्यसभा ने सत्र के दौरान अब तक 12 विधेयक पारित किए हैं, इनमें से नौ विधेयक दोनों सदनों से पारित हुए हैं. वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक और अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक बिना किसी खास चर्चा के पारित कर दिए गए.