चंडीगढ़ :पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं. प्रकाश सिंह बादल अपने सौम्य स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. उनका असल नाम प्रकाश सिंह 'ढिल्लों' था, लेकिन सरपंच का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर प्रकाश सिंह 'बादल' बन गया. 'बादल' उस गांव का नाम है, जहां उन्होंने अपने राजनीतिक करियर का पहला चुनाव जीता था. उनका राजनीतिक सफर 75 सालों का रहा और आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे.
20 साल की उम्र से शुरू राजनीतिक सफर : प्रकाश सिंह ने 20 साल की उम्र में अपना राजनीतिक सफल शुरू किया, जहां उन्होंने बादल गांव में पहली बार सरपंच का चुनाव लड़ा था. उन्होंने पहली बार 1957 से 2017 तक 10 बार पंजाब विधानसभा में लांबी का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन 94 साल की उम्र में पिछले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. प्रकाश सिंह बादल कम उम्र में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले और उम्रदराज नेता के रूप में जाने जाते हैं. वह मार्च 1970 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे. उस समय के सबसे कम उम्र के सीएम बनने वाले प्रकाश सिंह की तब आयु मात्र 43 साल थी. वहीं, उन्होंने 94 साल की उम्र में आखिरीबार 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना पड़ा था. ये हार उनके जीवन में खास इसलिए था, क्योंकि राजनीतिक करियर यह उनकी पहली और आखिरी हार थी.
प्रकाश सिंह बादल की थी यह इच्छा: प्रकाश सिंह बादल का जन्म मुक्तसर के एक छोटे से गांव अबुल खुराना में जाट सिख परिवार में हुआ था. पंजाब की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी प्रकाश सिंह बादल डॉक्टर बनना चाहते थे. उन्होंने एक साल तक डॉक्टरी की पढ़ाई भी की. उन्होंने मनोहर लाल मेमोरियल हाई स्कूल, लाहौर से दसवीं की पढ़ाई की. उन्होंने अपनी कॉलेज की शिक्षा सिख कॉलेज, लाहौर से शुरू की और बाद में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. 1959 में सुरिंदर कौर से उनकी शादी हुई थी. उनके परिवार में बेटा सुखबीर सिंह बादल और बेटी प्रणीत कौर है. बहू हरसिमरत कौर बादल भी सांसद हैं. प्रकाश सिंह बादल की पत्नी की 2011 में कैंसर से मौत हो गई थी.
पत्नी के निधन के बाद चलाया ये अभियान: 24 मई 2011 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर बादल का कैंसर की बीमारी से लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया था. सुरिंदर कौर तब 72 साल की थीं. वह गले के कैंसर से पीड़ित थीं. पत्नी के निधन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कैंसर के खिलाफ मुहिम शुरू की. घर-घर जाकर कैंसर मरीजों की जांच की गई. इतना ही नहीं, प्रकाश सिंह के प्रयास से सरकारी अस्पतालों में कैंसर बीमारी का इलाज संभव हो पाया है. प्रकाश सिंह बादल द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष की भी शुरुआत की गई, जिससे कैंसर पीड़ितों को आर्थिक मदद उपलब्ध करायी जाती है.