नई दिल्ली : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल एनडीए के फाउंडर सदस्य थे. भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ उनका खास रिश्ता था. अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने कई मौकों पर उनके सहयोग से एनडीए को राजनीतिक हिचकोलों से बचाया था. पहली बार 1996 में संसदीय चुनाव के बाद भाजपा और अकाली दल ने हाथ मिलाया था. 1997 में पंजाब विधानसभा चुनाव में भाजपा और अकाली दल ने मिलकर चुनाव लड़ा था, और यह गठबंधन सत्ता में पहुंच चुका था.
1996 में एचडी देवेगौड़ा ने प्रकाश सिंह बादल से गुजारिश की थी कि वह उनके गठबंधन में शामिल हो जाएं. लेकिन तब बादल ने कहा था कि हम तो भाजपा के साथ जा रहे हैं, वैसे हम कांग्रेस वाले गठबंधन में कभी नहीं जा सकते हैं.
प्रकाश सिंह बादल अक्सर कहा करते थे कि उनका वाजयेपी और आडवाणी के साथ विशेष रिश्ता है. वे कहते थे कि तीनों ही नेता एक दूसरे का पूरा सम्मान रखते थे. एक इंटरव्यू में बादल ने कहा था कि भाजपा के साथ अकाली दल का गठबंधन महज राजनीतिक नहीं है, बल्कि विचारधारा के आधार पर है. उन्होंने कहा कि आप इसे एक ही शरीर की दो आंखें मान सकते हैं. बादल ने कहा था कि हमारा गठबंधन सिर्फ जीत का ही भागीदार नहीं है, बल्कि हार के बाद भी कायम रहने वाला है. हालांकि, यह अलग बात है कि बाद में अकाली दल एनडीए से बाहर हो गया. कृषि बिल के मुद्दे पर दोनों ही पार्टियों के बीच अलग-अलग राय थी और फिर वे अलग-अलग हो गए.
इसके बावजूद निजी तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश सिंह बादल के साथ निजी रिश्ता कायम रखा था. वे अक्सर ही उनका हालचाल पूछा करते थे. उनकी बॉन्डिंग का अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि 26 अप्रैल 2019 को जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से अपना नामांकन भर रहे थे, तब उन्होंने प्रकाश सिंह बादल के पैर छूकर आशीर्वाद लिए थे. बादल बीमार होने के बावजूद वाराणसी पहुंचे थे. इसी तरह से जब अमित शाह गांधीनगर से नामांकन दाखिल कर रहे थे, तब भी बादल वहां मौजूद थे और अमित शाह ने पैर छूकर उनके आशीर्वाद लिए थे.
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