रेशम के धागे और भभूत से खत्म होगी समस्या! Bageshwar Dham सरकार को टक्कर देने आए एक और पर्ची बाबा, जानें पूरा मामला - land of Parchi Baba
एमपी अब धीरे-धीरे पर्ची बाबाओं का गढ़ बनता जा रहा है. बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री के बाद पंडोखर बाबा और अब सामने आए हैं बुरहानपुर के नवनाथ बाबा के भक्त विलास महाराज. दावा किया जा रहा है कि विलास महाराज पेपर पर भक्तों की समस्या लिखते हैं और बाद में उसी पेपर पर समस्या से निकलने का समाधान भी बताते हैं.
पर्ची बाबाओं का गढ़
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Published : Apr 4, 2023, 12:39 PM IST
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Updated : Apr 4, 2023, 1:29 PM IST
विलास महाराज पर्ची पर बताते हैं समस्या और समाधान
बुरहानपुर।बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की तरह ही एमपी के बुरहानपुर के नेपानगर क्षेत्र में स्थित पांच इमली गांव में बाबा नवनाथ महाराज का दरबार लग रहा है, जहां नवनाथ बाबा के भक्त विलास महाराज से मिलने दूर-दराज से लोग दरबार पहुंच रहे हैं. इस दौरान बाबा विलास महाराज ने बागेश्वर धाम सरकार के जैसे ही पर्ची पर लिखकर समस्या बता रहे हैं, इतना ही नहीं ये बाबा भक्तों की परेशानियों का निवारण भी कर रहे हैं.
पर्ची पर लिखकर बताते हैं समस्या और समाधान:मान्यता है कि नवनाथ बाबा के सेवक विलास महाराज ना सिर्फ भक्तों की समस्या को कागज पर लिख कर बताते हैं, बल्कि उनकी परेशानी का निवारण भी करते हैं. हाल ही में विलास महाराज की प्रसिद्धि देख बुरहानपुर से लेकर गुजरात सहित महाराष्ट्र के भी कई जिलों के भक्त यहां पहुंचे थे. फिलहाल अब नवनाथ बाबा के धाम पर भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है, बताया जा रहा है कि यहां समस्या लेकर पहुंच रहे पीड़ितों में भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित लोग, नि:संतान दंपति, रसूखदार के कर्ज में डूबे लोगों के अलावा विभिन्न बीमारियों से ग्रसित लोग भी शामिल हो रहे हैं.
रेशम के धागे और भभूत से होती है परेशानी खत्म:बताया जा रहा है कि बुधवार और रविवार के दिन नवनाथ बाबा के सेवक माने जाने वाले विलास महाराज एक छोटे से कमरे में बैठे लोगों को बाबा एक-एक कर अपने पास बुलाते हैं, इसके बाद वे भक्तों की समस्या बता कर रेशम का एक धागा और नवनाथ महाराज की भभूत(भस्म) देकर समाधान होने का भरोसा दिलाते हैं.
48 हजार नौकरी की नौकरी छोड़ समाज सेवा की ली जिम्मेदारी:बाबा विलास महाराज ने ETV भारत से चर्चा के दौरान कहा कि "नवनाथ महाराज की कृपा से बीते 3 पीढ़ियों से यह विद्या हमारे परिवार के पास है, पहले हमारे दादा-बाबा लोग भक्तों की समस्या दूर करते थे, इसके बाद हमारे बड़े पिताजी ने यह जिम्मेदारी निभाई. अब बड़े पिताजी ने यह जिम्मेदारी हमें दे दी है. पहले हम सिर्फ नवरात्रि में ही पीड़ितों के दुख-दर्द दूर करने के लिए दरबार लगाते थे, लेकिन नवनाथ महाराज की आज्ञा से अब सप्ताह में 2 दिन दरबार लगता है. हम कोई भगवान नहीं हैं, सब ऊपर वाले की कृपा है, पहले हम महू स्थित आयशर कंपनी में सुपरवाइजर थे, वहां हमें कंपनी से 48 हजार रुपये वेतन मिलता था. इसके बाद हमने वह नौकरी छोड़ कर समाज की सेवा का मार्ग चुना."