दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Tokyo Paralympics: एशिया फतह के बाद टोक्यो में शुक्रवार को लक्ष्य भेदने उतरेंगे UP के लाल विवेक

निगाहों में लक्ष्य लेकर आगे बढ़ने वालों का हर निशाना अचूक होता है. कुछ ऐसा ही लक्ष्य लेकर एशिया फतह करने के बाद टोक्यो पैरालंपिक 2020 की ओर बढ़ चले हैं, मेरठ के पैरा तीरंदाज विवेक चिकारा. पैरालंपिक गेम्स में भारतीय तीरंदाजी टीम में शामिल तीरंदाजों में विवेक भी पदक के प्रबल दावेदार हैं और उसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछले कुछ महीनों से लगातार बेंगलुरू में प्रशिक्षणरत थे.

विवेक चिकारा  latest news in hindi  hindi news  news in hindi  latest olympic news  news in hindi  टोक्यो गए तीरंदाज विवेक  Archer Vivek went to Tokyo  uttar pradesh  uttar pradesh samachar  तीरंदाज विवेक चिकारा
पैरा तीरंदाज विवेक चिकारा

By

Published : Aug 26, 2021, 5:34 PM IST

मेरठःसड़क हादसे में अपना पैर गंवाने वाले मेरठ के छोटे से गांव महपा निवासी 29 साल के विवेक चिकारा ने जीवन में आए बदलाव के बाद भी हार नहीं मानी. महज तीन साल में गांव से टोक्यो तक का सफर तय किया. कल यानी 27 अगस्त को तीरंदाजी में टोक्यो पैरालंपिक में भारत की तरफ से वो निशाना लगाएंगे. उनके गांव में सभी को उम्मीद है कि वो देश को पदक दिलाएंगे. ईटीवी भारत ने उनके परिवार और मित्रों से खास बातचीत की.

तीरंदाज विवेक किसी फिल्म के नायक से कम नहीं हैं. MBA की पढ़ाई करने के बाद एक निजी कंपनी में जॉब कर रहे थे कि अचानक एक दिन सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें विवेक को अपनी टांग गंवानी पड़ी.

यह भी पढ़ें:ओह हो...दुखी हो गया भाला उस्ताद, PAK खिलाड़ी से जैवलिन लेते दिखने वाले वायरल वीडियो की बताई सच्चाई

विवेक एक साल तक इलाज कराते रहे, लेकिन उन्होंने इन मुश्किलों से हार नहीं मानी. अपने लिए एक ऐसा रास्ता चुना, जिसके बारे में सुना जरूर था. लेकिन जानते कुछ नहीं थे. महज तीन साल में विवेक चिकारा ने न सिर्फ खुद पहचान दिलाई, बल्कि गांव को भी पहचान दिला दी.

विवेक के परिवार से खास बातचीत

मेरठ के तीरंदाज विवेक चिकारा 27 अगस्त को देश की तरफ से पदक के लिए निशाना लगाएंगे. तीरंदाजी स्पर्धा में उन्होंने एशिया में नंबर वन बनाने तक का ये सफर सिर्फ तीन साल में तय किया है.

यह भी पढ़ें:पुरुषों की राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप 15 सितंबर से

ईटीवी भारत की टीम ने उनके गांव महपा में जाकर उनके दोस्तों, सहयोगियों, ग्रामीणों और परिवार के सदस्यों से मुलाकात की. सभी उनके लिए दुआएं कर रहे हैं. सभी को विवेक पर भरोसा है कि वो देश के लिए पदक जरूर लाएंगे.

एमबीए ग्रेजुएट विवेक के पिता देवेंद्र सिंह चिकारा कहते हैं, विवेक ने पढ़ाई के बाद जॉब शुरू कर दी थी. कैरियर से वो संतुष्ट थे, लेकिन जब एक दिन एक्सीडेंट हुआ तो सब कुछ बदल गया. वो कहते हैं कि बेशक पूरा एक साल विवेक को स्वस्थ होने में लगा, लेकिन एक टांग भी तब उनकी उनके साथ नहीं थी. उन्हें बेटे की लगन और मेहनत पर भरोसा है.

यह भी पढ़ें:बिजनौर की मेघना का महिला क्रिकेट टीम में सेलेक्शन, परिवार में खुशी का माहौल

विवेक की मां रचना देवी ने कहा, वो भगवान से प्रार्थना करती हैं कि बेटा पदक लेकर आए. उनका बेटा बहुत हिम्मतवाला है. उसने कभी हार नहीं मानी. विवेक की करीब 85 साल की दादी का कहना है, उन्हें पौत्र विवेक पर पूरा भरोसा है. विदेश से मेडल लेकर गांव का नाम रोशन करेगा.

विवेक के पिता ने बताया, गांव से निकलकर बेटे ने एशिया के तीरंदाजी की रैंकिंग में नंबर वन खिलाड़ी बनने तक हर दिन कम से कम 6 घंटे प्रैक्टिस की. अलग-अलग प्रतियोगिता में मेडल जीते हैं.

यह भी पढ़ें:'रवि को विश्व चैंपियनशिप में भाग के लिए बाध्य नहीं करेंगे'

इस हुनर में उनके एक अच्छे मित्र साथी के तौर पर गांव के ही उदित ने पल-पल पर उनका सहयोग किया. उदित कहते हैं, जब कोरोना चल रहा था तो गांव में ही विवेक ने पूरी प्रैक्टिस की. गांव के युवा अपने साथी के टोक्यो में भारत का प्रतिनिधित्व करने से बेहद उत्साहित हैं. सभी ने कहा, उन्हें विवेक की मेहनत और लगन पर पूरा भरोसा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details