मधेपुरा : जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने दोस्त और उसकी प्रेमिका की शादी का विरोध किया था. उसी खुन्नस में दोस्त दुश्मन बन गए और गलतफहमी में मुरलीगंज थाना में अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया था, जिसमें पप्पू यादव को 32 साल बाद जेल जाना पड़ा है.
पप्पू यादव पर अपहरण का केस
पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के रग-रग में छात्र जीवन से ही मदद और लोगों के मान सम्मान, प्रतिष्ठा और रक्षा करने का जज्बा दिखने लगा था और गलत पर आवाज उठाने की आदत थी. बता दें कि मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में पप्पू यादव और उनके अन्य साथियों पर दोस्त रामकुमार यादव और उमा यादव के अपहरण का आरोप तीसरे दोस्त शैलेन्द्र यादव ने मुरलीगंज थाने में लिखित आवेदन देकर 29 जनवरी 1989 को लगाया था, जिसका थाना कांड संख्या 7/89 है.
दोस्त के प्रेम विवाह का किया था विरोध
अपहरण मामले की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प और प्रेम से लबरेज है. दरअसल, पप्पू यादव के तीन दोस्त रामकुमार यादव, उमा यादव और शैलेंद्र यादव मुरलीगंज के के.पी.कॉलेज में पढ़ते थे और पप्पू यादव पूर्णिया में पढ़ाई करते थे. इसके अलावा और भी कई दोस्त मुरलीगंज में रहकर पढ़ते थे. इसलिए पप्पू यादव अक्सर मुरलीगंज आते-जाते रहते थे.
दोस्तों के बीच हुई बहसबाजी
इसी बीच पप्पू यादव को पता चला कि उनका एक दोस्त एक लड़की से प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है. जिस बात से पप्पू यादव काफी नाराज हो गये और शादी के खिलाफ आवाज उठाने लगे. इसी मामले में उनका उनके दोस्त रामकुमार यादव और उमा यादव से विवाद हो गया. बस यहीं से पूरा मामला शुरू हो गया. पप्पू यादव और उनके मित्रों में प्रेम विवाह को लेकर बहस हो गई.
दोस्त ने ही दर्ज करावाया केस
मुकदमा करने वाले दोस्त शैलेन्द्र यादव ने बताया कि बहस के एक-दो दिन बाद हम लोग मुरलीगंज के मीडिल चौक पर पान खा रहे थे. इसी दौरान पप्पू यादव ने अपने अन्य साथियों के साथ आकर रामकुमार और उमा को जबरन उठाकर ले गए. पहले तो हमारी समझ में कुछ नहीं आया, लेकिन बाद में पुलिस को लिखित शिकायत कर दी कि पप्पू यादव अपहरण करके ले गया है. इसके दो दिन के बाद रामकुमार और उमा को पप्पू यादव ने छोड़ दिया.