चंडीगढ़: पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है. राजनीतिक हलकों में खामोशी है. सभी दलों के नेता 10 मार्च का इंतजार कर रहे हैं, जब रिजल्ट घोषित किए गए जाएंगे. पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि पंजाब की सत्ताधारी कांग्रेस में भी इस समय शांति है, जो पार्टी में आने वाले बड़े तूफान की ओर संकेत दे रहा है. कुछ नेताओं ने अपने बयानों से इस ओर इशारा भी किया है.
लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब कई कांग्रेसी नेताओं की नीयत और नीति पर सवाल खड़े किए हैं. 3 मार्च को कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने यूक्रेन के बहाने पंजाब कांग्रेस के नेताओं के लापता होने पर तंज कसे. वोटिंग के बाद दलित मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर विवाद भी सामने आ गया. चुनाव सर्वेक्षणों में यह बताया जा रहा है कि पंजाब में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस नेताओं को आशंका है कि त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिए उनके विधायकों तोड़ सकती है. इन दिनों कांग्रेस के कई उम्मीदवार राजस्थान में नजर आ रहे हैं.
बताया जा रहा है कि चुनाव के दौरान हिंदू वोटर कांग्रेस से नाराज रहे. कैप्टन अमरिन्दर सिंह के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था. चर्चा यह रही कि हिंदू होने के कारण उन्हें सीएम की कुर्सी नहीं मिली, इसलिए हिंदू वोटर कांग्रेस, सीएम चन्नी और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू से भी ख़फ़ा हैं. नवजोत सिद्धू अपने ही मुख्यमंत्री चन्नी से नाराज हैं क्योंकि वह ख़ुद सीएम के दावेदार थे. सीएम चन्नी इसलिए नाराज चल रहे हैं कि चुनाव के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़ ने बयानबाजी के कारण कांग्रेस का काफी नुकसान किया. फिलहाल यह कहा जा सकता है कि पंजाब कांग्रेस में तालमेल की बड़ी कमी रही.
पंजाब कांग्रेस में इस समय अजीब सी शांति का माहौल है. अक्सर बयानबाज़ी करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू चुप हैं. मुख्यमंत्री चन्नी कहां व्यस्त हैं, इसका भी पता नहीं चल रहा है. मीडिया में सवाल उठने के बाद उन्होंने यूक्रेन मसले पर एक मीटिंग की थी. कांग्रेस के सांसद रणवीत सिंह बिट्टू का कहना है कि इस बार पंजाब में कांटे का मुकाबला है. किसी भी पार्टी के लिए अकेले सरकार बनाना संभव नहीं होगा. उन्होंने आशंका जताई कि पार्टी को चुनाव के दौरान हुए क्लेश का बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ सकता है. कई लोगों ने कांग्रेस का नुकसान किया, मगर उन्होंने इसकी शिकायत नहीं की. रिजल्ट आने के बाद इस मुद्दे पर खुलकर बात की जाएगी. तब बड़े कद्दावर नेताओं के रवैये पर भी चर्चा होगी.
सीएम चन्नी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान बयानबाजी करने से नाराज हैं. फोटो क्रेडिट - twitter @sherryontopp रणवीत सिंह बिट्टू ने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी के सीनियर नेताओं का व्यवहार ठीक नहीं रहा. यदि जीत न हुई तो हालात ख़राब होंगे. कांग्रेस के समर्थक और कार्यकर्ता नेताओं से काफ़ी नाराज़ हैं. अगर पार्टी चुनाव हारती है तो कार्यकर्ता उन्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे. बता दें कि पंजाब के श्री अनन्दपुर साहब से कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी भी पंजाब कांग्रेस की कारगुज़ारी पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
दो दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि यूक्रेन संकट पर कांग्रेस के नेता कहां ग़ुम हो गए हैं. मुख्यमंत्री चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कहां गए हैं. कांग्रेस नेताओं के रुख पर तंज कसते हुए बीजेपी नेता जनार्दन शर्मा ने कहा कि हमेशा ही जब देश पर कोई मुश्किल आती है तो कांग्रेस के नेता गायब हो जाते हैं. अकाली दल के नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा का कहना था कि पंजाब कांग्रेस में टकराव स्पष्ट तौर पर ही नज़र आ रहा था. जो पार्टी देश भर में ही बुरी स्थिति से गुज़र रही हो, वह पंजाब को दिशा देने की स्थिति में कहां होगी. उन्होंने दावा किया कि पंजाब विधान सभा (Punjab Assembly Election 2022) के नतीजों के बाद कांग्रेस टूट जाएगी. कांग्रेस में इस समय जो अंदरुनी बग़ावत हो रही है, 10 मार्च के बाद सबके सामने आ जाएगा.
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