नई दिल्ली :भारत और चीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ने की आशंका है. ताजा घटनाक्रम में चीन ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे कुछ निर्माण किए हैं. सेटेलाइट फोटो से सामने आई कुछ तस्वीरों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि चीन ने पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारों पर (pangong tso satellite image) कुछ निर्माण किया है.
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीन ने पैंगोग त्सो इलाके में संभावित हेलीपैड के अलावा स्थायी शिविर जैसे निर्माण किए हैं. तस्वीरों में चीन की जेटी देखी जा सकती है. पैंगोग त्सो के किनारों पर किए गए कथित निर्माण पर फॉरेन पॉलिसी मैगजीन से जुड़े जैक ने लिखा है कि सेटेलाइट फोटो से स्पष्ट होता है कि चीन ने पैंगोंग त्सो के किनारे अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है.
उन्होंने जुलाई, 2021 के मीडिया रिपोर्ट का जिक्र किया और लिखा कि चीन और भारत के सैन्य टैंक इसी इलाके में एक-दूसरे के काफी करीब तैनात किए गए (tanks wewe stationed within firing distance) थे.
सेटेलाइट तस्वीरें मैक्सर (@Maxar) की मदद से जारी की गई हैं. तस्वीरों को जैक डिट्चो (Jack Detsch) ने ट्वीट किया है. जैक ने ट्विटर बायो में खुद को फॉरेन पॉलिसी मैगजीन का रिपोर्टर बताया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका स्थित अंतरिक्ष फर्म मैक्सर टेक्नोलॉजीज ने जो तस्वीरें जारी की हैं इन्हें अक्टूबर में कैप्चर किया गया है. कुछ दिनों पहले जारी की गई तस्वीरों से अक्टूबर में कैप्चर किए गए सेटेलाइट फोटो की तुलना करने पर पता चलता है कि चीन की ओर से जो निर्माण किया गया है, वह गत सात महीने की अवधि में किया गया है.
बता दें कि विगत फरवरी में सैन्य विघटन की घोषणा के तुरंत बाद भी सेटेलाइट फोटो जारी की गई थी. फरवरी में सामने आई तस्वीरों में देखे गए आश्रयों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई है. फरवरी की सैटेलाइट फोटो में दिखी कुछ निर्माणाधीन संरचनाओं को अक्टूबर की फोटो से कंपेयर किया गया है. नई तस्वीरों में आश्रय का निर्माण पूरा हुआ लगता है.
ट्विटर बायो में जैक ने लिखा है कि वे अमेरिकी रक्षा मंत्रालय- पेंटागन से स्टोरी कवर करते हैं. उन्होंने लिखा है कि वे फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में नेशनल सिक्योरिटी रिपोर्टर हैं.
पैंगोंग त्सो झील के किनारों के बारे में उन्होंने लिखा है कि यह झील ईस्टर्न लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत से गुजरती है. उन्होंने लिखा है कि पैंगोंग त्सो झील 13,862 फीट की उंचाई पर है.
उन्होंने लिखा है कि भारत के अधिकारियों ने सर्दियों के मौसम में सैनिकों की संख्या को लेकर चिंता जाहिर की है. हालांकि, अधिकारियों का यह भी मानना है कि ऊंचाई वाले इलाके में लड़ाई के मामले में भारत के सैनिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों से अधिक सक्षम हैं.
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