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समय पर इलाज न मिलने के चलते हैदराबाद से लौट रहे पंडो जनजाति के श्रमिक की बस में मौत

छत्तीसगढ़ के सरगुजा के पंडो जनजाति के श्रमिक की मौत का मामला सामने आया है. हैदराबाद से वापस आ रहे पंडो जनजाति के श्रमिक की बस में मौत हो गई. मौत होने के बाद शव को बस स्टॉफ ने रास्ते मे उतार दिया गया. साथियों ने रिंग रोड (ring road) में उतर कर देर रात शव की रखवाली की है. सुबह होने पर शव को मेडिकल कालेज अस्पताल (Medical College Hospital) पहुंचाया गया. बताया गया है कि श्रमिक (labor) तबीयत खराब होने के बाद साथियों के साथ घर वापस लौट रहा था.

पंडो जनजाति
पंडो जनजाति

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Published : Oct 21, 2021, 12:29 AM IST

सरगुजा : छत्तीसगढ़ के सरगुजा के पंडो जनजाति के श्रमिक की मौत का मामला सामने आया है. हैदराबाद से वापस आ रहे पंडो जनजाति के श्रमिक की बस में मौत हो गई. मौत होने के बाद शव को बस स्टॉफ ने रास्ते मे उतार दिया गया. साथियों ने रिंग रोड में उतर कर देर रात शव की रखवाली की है. सुबह होने पर शव को मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचाया गया. बताया गया है कि श्रमिक तबीयत खराब होने के बाद साथियों के साथ घर वापस लौट रहा था.

जानकारी के अनुसार काम की तलाश में दूसरे प्रदेश मजदूरी करने गए पण्डो श्रमिक को आर्थिक समस्या ने मौत के मुंह तक पहुंचा दिया. बीमारी से जूझ रहे पण्डो श्रमिक की हालत ऐसी हो गई कि बीमार होने पर पैसे कम पड़ गए. बीमार पण्डो श्रमिक उपचार नहीं करा पाने पर जब अपने साथियों के साथ वापस घर लौटने लगा तब बस में ही उसकी मौत हो गई और आज तड़के पण्डो श्रमिक को उसके साथी मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर गए, जहां जांच उपरांत चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. बताया जा रहा है की श्रमिक को मृत देख बस स्टॉफ ने उन्हें रिंग रोड पर ही उतार दिया.

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तीन महीने पहले गया था चेन्नई कमाने
डिण्डो थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत महादेवपुर निवासी सोहर ताव पण्डो आ. धीरसाय ताव पण्डो 26 वर्ष, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर तीन माह पूर्व गांव के ही प्रभू व दिनेश के साथ मजदूरी करने चेन्नई गए थे. जहां एक कंपनी के ठेकेदार के यहां पाइप लाइन बिछाने का काम करने लगे. दो माह मजदूरी करने के बावजूद ठेकेदार द्वारा मात्र एक माह को वेतन दिया. जबकि एक माह का वेतन नहीं दिया. वेतन नहीं मिलने पर सोहर पण्डो सहित उसके साथी काम छोड़कर हैदराबाद आकर पाइप लाइन बिछाने का काम करने लगे.

हैदराबाद में काम करने के दौरान ही सोहर पण्डो की तबियत खराब होने लगी. वहीं, पैसा नहीं होने पर सोहर मेडिकल दुकान से दवा लेकर अपना उपचार करने लगा. मजदूरी के 27 दिन बाद उसकी तबियत बिगड़ गई, जिसे देख ठेकेदार ने 27 दिन का मजदूरी बाद में देने की बात कहकर सोहर साय सहित उसके साथियों को घर भेज दिया.

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