प्रयागराज : प्रदोष व्रत पंचांग के अनुसार 24 फरवरी को पड़ रहा है. प्रदोष व्रत की पूजा से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है. यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास के 13वें दिन (त्रयोदशी) पर रखा जाता है. माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होता है.
प्रदोष व्रत की महिमा
माघ मास में शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है इसलिए इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि एक दिन जब चारों और अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगी. व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा. उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृपा होगी. इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ता है. उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है.
प्रदोष व्रत से मिलने वाले फल
- प्रयागराज के पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला के अनुसार अलग- अलग वारों के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ प्राप्त होते हैं.
- रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत से आयु वृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
- सोमवार के दिन त्रयोदशी के मौके पर व्रत रखने से आरोग्य प्रदान होता है और इंसान की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है.
- मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत हो तो उस दिन के व्रत को करने से रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.
- बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो, उपासक की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है.
- गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े तो, इस दिन के व्रत के फल से शत्रुओं का विनाश होता है.
- शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिए किया जाता है.
- संतान प्राप्ति की कामना हो तो शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करना चाहिए.
- अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किए जाते हैं तो व्रत से मिलने वाले फलों में वृद्धि होती है.